इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज इटारसी (Shri Durga Navagraha Temple Lakkadganj Itarsi) में नासिक (Nashik) के त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga) का पूजन एवं अभिषेक हुआ। यजमान रवि वर्षा श्रीवास्तव (Ravi Varsha Srivastava) ने त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग के पार्थिव स्वरूप का पूजन एवं रूद्राभिषेक किया। मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे (Acharya Pt. Vinod Dubey) ने कहा कि नासिक के पास त्र्यबंक नगर है। इस त्र्यंबकेश्वर मंदिर का निर्माण नाना साहिब पेशवा ने करवाया था। यहां प्रति सोमवार को भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) की पालकी निकाली जाती है।
पुराने राजा महाराजाओं ने भगवान के सिर का मुकुट और रथ भी प्रदान किया था। इसी स्थान पर 12 वर्ष में कुंभ का विशाल मेला लगता है। जहां दुनिया भर के श्रद्धालु आते हैं। इस ज्योर्तिलिंग के बारे में कहा जाता है कि त्र्यंबकेश्वर दसवें ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थापित है। इस ज्योर्तिलिंग से कभी-कभी सिंह की दहाड़ सुनाई देती है और कभी-कभी आग की दिव्य ज्वालायें भी निकलती है। इस ज्योर्तिलिंग से अहिल्या के पति महर्षि गौतम (Maharishi Gautam) की कथा भी जुड़ी हुई है। पं. दुबे ने कहा कि जब एक बार इस क्षेत्र में 100 वर्षो तक बारिश नहीं हुई तब महर्षि गौतम ने तप किया इंद्र के प्रताप से इस क्षेत्र में भारी बारिश हुई। नासिक पूरे देश में काल सर्प योग की शांति के लिए जाना जाता हैं। यहां कालसर्प योग समाप्ति हेतु विशेष पूजन अर्चन किया जाता है। एवं संतान प्राप्ति के लिए भी यहां पर विशेष अनुष्ठान होता है।
त्र्यंबकेश्वर में शिवलिंग अकेला नहीं है, जलहरि में गड्डा है और शंकर महेश विष्णु रूपी तीन लिंग हैं इन्हें ही त्र्यंबकेश्वर कहते हैं। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में हिंदुओं के पवित्र धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। इस मंदिर के आयोजनों की विशेषता यह है कि किसी भी धार्मिक कार्यक्रम के लिए चंदा गड्डी बाजार में नहीं चलती है। ज्योर्तिलिंग अभिषेक के लिए श्रद्धालु उपस्थित हुए और भगवान भोलेनाथ का विल्वपत्र, धतूरा और भांग से अभिषेक किया। मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे के साथ पं. सत्येन्द्र पांडये एवं पं. पीयूष पांडेय ने पूजन एवं अभिषेक कराया।