इटारसी। पूर्व नगर पालिका के कार्यकाल में तैयार हुईं सब्जी मंडी की दुकानों से जुड़े मामले में फैसला देते हुए स्थानीय न्यायालय ने नपा के पूर्व सहायक राजस्व निरीक्षक संजीव श्रीवास्तव और अक्षत अग्रवाल को बरी करने के आदेश जारी किए हैं। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश हर्ष भदौरिया ने प्रकरण में फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए आरोप सिद्ध नहीं हो सके हैं। इस आधार पर आरोपियों को बरी किया जाता है।
इस कार्यकाल में दुकानों भूखंडों की खरीदी में जाली रसीदों के लेनदेन के आरोपों के चलते श्रीवास्तव को शासन ने निलंबित किया था। सब्जी मंडी निर्माण के दौरान बंगाली कालोनी में रहने वाले कृष्णपद बंगाली नामक युवक ने पुलिस को एक शिकायत करते हुए बताया था कि सब्जी मंडी में रिक्त जगह पर उसे पक्की नई दुकान बनाकर देने का लालच देकर वर्ष 2019 में एआरआई संजीव श्रीवास्तव ने तीन रसीदें देकर उससे करीब सवा लाख रुपये लिए थे, इसके अलावा दुकान बनाने के नाम पर ठेकेदार अक्षत अग्रवाल ने भी उससे 90 हजार रुपये लिए थे। साल बीतने के बाद भी जब श्रीपद को दुकान नहीं मिली तो कृष्णपद ने थाने में आवेदन दिया।
इस मामले की जांच करते हुए पुलिस ने तत्कालीन एआरआई संजीव श्रीवास्तव एवं अक्षत अग्रवाल के खिलाफ धारा 420, 406, 467, 468, 471 आईपीसी का मामला पंजीबद्ध कर लिया था। मामले में अक्षत की और से पैरवी करने वाले अधिवक्ता संतोष मंटू शर्मा ने बताया कि शिकायतकर्ता को दी गई तीन में से एक विवादित रसीद के करीब 50 हजार रुपये नपा के खजाने में जमा नहीं किए गए थे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि रसीदों एवं दस्तावेजों में संजीव श्रीवास्तव के हस्ताक्षर एवं हस्तलिपि प्रमाणित नहीं हुई है, अभियोजन के वकील भी दोष सिद्ध नहीं कर पाए।
न्यायालय ने पेश किए गए प्रमाण एवं गवाहों के आधार पर छल के लिए कूटरचना नहीं पाई, इसका लाभ संदेही पक्ष को मिला। अक्षत अग्रवाल से रुपयों के लेनदेन को भी अभियोजन पक्ष सिद्ध नहीं कर पाया। मामले में फैसला देते हुए कहा कि आरोपियों पर लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं हुए, इसे देखते हुए दोनों को न्यायालय ने बरी करते हुए अपना फैसला सुनाया है।