नर्मदापुरम। नर्मदा अपना अस्पताल (Narmada Apna Hospital) में चल रही श्रीमद्भागवत कथा (Shrimad Bhagwat Katha) के द्वितीय दिवस बुधवार को कथा व्यास अंबालिका किशोरी (Ambalika Kishori) ने शुकदेव के जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि भगवान शिव (Lord Shiva) माता पार्वती (Mata Parvati) को अमरकथा सुना रहे थे। उस कथा को बिना शिवजी के अनुमति के एक शुक यानी तोते ने भी सुन लिया।
जब भगवान शिव को इसका भान हुआ तो वे उस तोते को मारने के लिए दौड़े। वह शुक वहां से उड़ा और व्यास जी की पत्नी के मुख के माध्यम से उनके उदर में प्रवेश कर गया। जब शिवजी और व्यासजी ने उसे बाहर आने लिए कहा तो उसने मना कर दिया। अमर कथा के कारण उसे ज्ञान प्राप्त हो गया था। बाद में उसने उदर में ही भगवान की भक्ति शुरू कर दी। उससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने कुछ देर तक अपनी माया को रोक दिया, तब उन्होंने जन्म लिया और जन्म लेते ही तपस्या के लिए वन में चले गए।
कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि देवर्षि नारद की प्रेरणा से व्यासजी ने भगवान के प्रेम का वर्णन करने के लिए भागवत की रचना की और लोगों के लिए धरा धाम पर प्रचार करने का आदेश दिया। कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। प्रश्नोत्तरी और रिवीजन कथा का सबसे बड़ा आकर्षण और रुचिकर अंश कथा पर आधारित प्रश्नोत्तरी और रिवीजन होता है। कथा प्रारंभ होने से पहले व्यास पीठ से पूछे गए प्रश्नों का उत्तर श्रद्धालुओं से पूछे गए।ज्ञात रहे कि की सुनने वाले श्रद्धालुओं से मनुष्य के कल्याण का साधन क्या है, अंतर शुद्धि कैसे हो सकती है, भगवान विष्णु के कुल कितने अवतार हैं, भगवान ने देवकी और वसुदेव के यहां जन्म क्यों लिया? बालराम और भगवान के कौन कौन सी लीलाएं की? और भगवान के गोलोक धाम जाने पर धर्म किसकी शरण में गया? प्रश्न पूछे।
कथा में इनके उत्तर भी दिए गए। इसके बाद पिछले दिवस की कथा की रिवीजन भी कराया गया। इसमें श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रारंभ में आयोजक डा राजेश शर्मा ने बताया कि यह महत्वपूर्ण संयोग है कि कथा का विश्राम 22 जनवरी को हो रहा है। दिन हम सब यहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव भी मनाएंगे।