व्यस्तता में से आत्मा और शरीर के लिए वक्त निकालें : पं. तिवारी

इटारसी। समीपस्थ ग्राम पांजराकलॉ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में आज कथावाचक संत भक्त पं भगवती प्रसाद तिवारी ने कहा मनुष्य अपने कर्तव्य के साथ परम कर्तव्य भगवत प्राप्ति को भी लक्ष्य बनाकर जीवन बिताएं। राजा परीक्षित को श्री शुकदेव मुनि ने समझाया कि मनुष्य को कितना भी काम झंझट, परेशानी हो शरीर और आत्मा के लिए समय अवश्य निकालें। भक्ति, ज्ञान, सत्संग, सुमिरण से ही मरण सुधरता है। जो क्षण और कण को बचाने की कला जानता है, वह महान कार्य मे सफल हो जाता है ।
उन्होंने कहा कि धर्म, सत्संग, सेवा के द्वारा हमारा स्वभाव, व्यवहार, आचरणों में परिवर्तन आना ही चाहिए। वही सच्चा धार्मिक, ज्ञानी, मनुष्य है जिसका आचरण, खानपान ,संगति श्रेष्ठ है। भक्ति भगवान के लिए ही होती है, दुनिया के सुख भोग भोगने के लिए कोई भक्ति मत करो, नहीं तो भवसागर पार करने में, मुक्ति में बाधा आएगी। मनुष्य शरीर किसी भी जाति, धर्म, समाज, गांव, शहर में जन्म लिया हो, वह सत्कर्म से, पुरुषार्थ से, तपस्या से, सदाचरण से अपने को महान बना सकता है।
भगवान इतना अच्छा लगने लगता है कि नाशवान वस्तुओं से लगाव अपने आप कम होते-होते खत्म हो जाता है। कोई विषय, विकार,काम, क्रोध, लोभ, मोह, मान, मत्सर से मनुष्य ऊपर उठकर परम, आनंद को प्राप्त हो जाता है। ईश्वर की सच्ची भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सत्संग, पूजा पाठ कथा करते, सुनते-सुनते संसार के सारे सुख तुच्छ नजर आने लगते हैं। आज श्रीमद् भागवत सत्संग में महारास, गोपी उद्धव प्रसंग, रूक्मणी मंगल विवाहोत्सव की सुंदर झांकी कथा का आयोजन किया गया। कल कथा विश्राम महाप्रसाद के साथ होगा।