जल संकट : निर्णायक हो सकती है पानी के लिए लड़ाई
इटारसी। गर्मी शुरु हो चुकी है, तवानगर में 12 दिन से नागरिक पानी के लिए जद्दोजेहद कर रहे हैं और शासन-प्रशासन और यहां के राजनीतिक नेतृत्व का रवैया ऐसा है, जैसे तवानगर दुश्मन देश के सैनिकों का है जहां जरूरी चीजों की सप्लाई रोक दो वे परेशान हो जाएंगे। न विधायक सुन रहे, ना जिला प्रशासन। पंचायत तो बेचारी इतनी गरीब है कि न तो जनपद सीईओ कोई रुचि ले रही और ना ही ग्राम पंचायत के पास पैसा है, कि बिजली का बिल जमा करके काटा गया बिजली कनेक्शन पुन: जोडऩे की पहल कर सके।
ग्राम पंचायत रानीपुर के कस्बे तवानगर को अनाथ छोड़ दिया। क्योंकि उनको कह दिया है कि जलकर वसूलो, बिजली का बिल जमा करो, इसके बाद ही पानी मिल सकेगा। गर्मी की शुरुआत में ही ऐसे हालात हो गये हैं कि सरकार इनकी सुध नहीं ले रही। इसका कोई स्थायी हल नहीं निकाला जा रहा है, तो जब तपिश बढ़ेगी, जलस्तर नीचे जाएगा और यहां की पथरीली भूमि पर पानी पातालवासी होगा तब तवानगर की जनता की स्थित सोचकर भी कलेजा मुंह को आ जाएगा। दो विभागों के बीच बिजली बिल के मामला है, तीसरे विभाग से उम्मीद की जा रही है, कोई हल निकालने की और पिस रही है जनता। पंचायत विभाग बिल नहीं दे रहा, बिजली विभाग को बिल चाहिए, राजस्व विभाग से सहयोग की उम्मीद की जा रही है और जनता की परेशानी हो रही है। अब तक इस मामले में कलेक्टर की खामोशी समझ से परे है? क्या प्रशासन के पास भी मामले का हल नहीं है। क्या जनता को उसकी सबसे जरूरी चीज पानी से वंचित किया जा सकता है? शहरों में सार्वजनिक नल होते हैं, जहां जनता को फ्री में पानी भरने को मिलता है, फिर गांवों में ऐसी कोई और व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती, जहां से जनता को पानी मिल सके? एकमात्र नलकूप पर देर रात तक भीड़ जमा होती है, ऐसे नलकूप और खनन किये जाएं तो क्या परेशानी कम नहीं होगी।
जेल की धमकी देकर ग्रामीणों का डरा रहे
तवानगर में सिंचाई विभाग के कर्मचारी और ग्रामीण मिलाकर करीब 5 हजार लोग निवास करते हैं। पंचायत रानीपुर के दो कुएं यहां हैं, जिनमें मोटर डालकर पाइप लाइन से घर-घर पानी पहुंचाया जाता था। पंचायत पर करीब डेढ़ लाख रुपये का बिल बकाया होने से बिजली कंपनी ने दोनों कनेक्शन काट दिए। इससे 18 फरवरी से यहां पेयजल संकट हो गया। ग्रामीणों ने जब पंचायत का घेराव किया तो तहसीलदार किसी तरह समझाइश देकर कनेक्शन जुड़वाकर आ गए, लेकिन फिर कनेक्शन काट दिया गया। ग्रामीणों ने सांसद-विधायक को धन्यवाद तिराहे पर काले झंडे दिखाकर चक्काजाम की चेतावनी दी, इसके बाद अधिकारियों ने आकर ग्रामीणों को धमकाते हुए कहा कि चक्काजाम किया तो सभी को जेल भेज देंगे, इसके बाद पंचायत ने 21 हजार रुपये का बिल जमा कर यहां के एक बोर को चालू करा दिया।
फिर बन रहे आंदोलन के आसार
तवानगर के लोग फिर से आंदोलन का मन बना रहे हैं। अबकी यह आंदोलन निर्णायक होगा, ऐसा सूत्र बता रहे हैं। सांसद उदय प्रताप सिंह जब केसला आ रहे थे, तवानगर के लोगों ने मिलने की इच्छा जतायी थी, कतिपय अधिकारियों ने नेताओं की भूमिका निभायी और गांव में जाकर लोगों को यह कहकर शांत करा दिया कि सांसद से मिलने से कुछ नहीं होगा, पैसा जमा करो तो बिजली लाइन जोड़कर सप्लाई चालू करा देंगे। आनन-फानन में पंचायत ने जलकर वसूलना प्रारंभ किया तो पहले दिन महज 8 हजार जमा हुए। इसके बाद यह माना गया कि ऐसे में बताये गये डेढ़ लाख जमा होने में एक महीने लग जाएंगे, यानी तब तक तवानगर की जनता पानी के लिए परेशान होती रहेगी। जीवन की मूलभूत आवश्यकता के लिए तवानगर के लोगों की इस परेशानी का हल किसके पास है?
अब नहीं चेते तो कौन सुनेगा
तवानगर की जनता आखिर स्वयं की जान के लिए भी पैसा क्यों खर्च करना नहीं चाहती। पानी के बिना जीवन नहीं है, फिर भी यहां के पानी का उपयोग करने वालों का एक बड़ा तबका जलकर जमा करने में रुचि नहीं लेता है। जब बिजली का कनेक्शन कटता है तो वे लोग भी इसमें परेशान हो जाते हैं, जो नियम से बिल देते हैं। प्रशासन की नाकामी का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि जो बिल जमा करता है, केवल उन्हीं से वसूल किया जाता है, जो बिल नहीं देते उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है और वे मुफ्त में मजे ले रहे हैं। अब अधिकारी और नेता सभी कहने लगे हैं कि हम क्या करें, जनता पैसा जमा करे तो बिजली जुड़ेगी और फिर पानी मिलेगा।