शाबास जीआरपी! फर्ज़ और मानवता के साथ मां-बच्चे का मेल कराया

Post by: Rohit Nage

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इटारसी। किसी भी अपराध के अपराधी को पकडऩा सुरक्षा एजेंसी का फ़र्ज़ होता है, इसमें उनकी वाहवाही करने जैसा कुछ होता नहीं है। लेकिन, फर्ज के साथ यदि मानवता के दर्शन हो जाएं तो स्वभाविक तौर पर कम से कम पुरस्कार में तारीफ तो बनती है। विभाग भले इसे हल्के में ले और टीम को पुरस्कृत न करे, लेकिन यह सच है कि जीआरपी इटारसी (GRP Itarsi) की टीम ने पांच दिन लगातार दिनरात एक करके एक दुधमुंहे बच्चे को उसकी मां से मिलवाया। न सिर्फ मां-बच्चे का मिलन कराया बल्कि मां के हाथों तक पहुंचने से पहले बच्चे की मां और पिता बनकर उसका लालन-पालन भी किया। इसलिए, यह कहना लाजमी है, शाबास जीआरपी!

मामला एक केवल चार माह के बच्चे के अपहरण से जुड़ा है। यह अपहरण शहद बेचने वाले दल ने रेलवे स्टेशन से उस वक्त किया था जब एक गरीब महिला रेलवे स्टेशन (Railway Station) पर अपने बच्चे के साथ सो रही थी। मां जब गहरी नींद में थी, तब शहद बेचने वालों के दल ने उसके बच्चे को उठा लिया। जीआरपी ने खबर लगते ही एक्शन मोड में काम किया और अपहरणकर्ताओं का पीछा किया। जब तक जीआरपी तक खबर पहुंचे, अपहरणकर्ता ट्रेन में बैठकर इटारसी छोड़ चुके थे। जीआरपी की टीम ने दूसरी ट्रेन से पीछा किया और तमाम तकनीकि साधन अपनाते हुए आखिकार बिहार (Bihar) में बांग्लादेश (Bangladesh) की बार्डर से बच्चे को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया और सभी को इटारसी (Itarsi) लेकर आ गये। चार दिन रो-रोकर बेहाल हो चुकी मां की ममता बच्चे को पाकर देखते ही बनती है। वह लाख-लाख दुआएं दे रही है, कभी जीआरपी कर्मियों के पैर पकड़ती, कभी खुशी के आंसू बहाकर अपनी भावनाओं का इजहार करती।

यह है पूरा मामला

रेलवे स्टेशन इटारसी (Railway Station Itarsi) से 04 माह के अपहृत अबोध बालक को जीआरपी पुलिस इटारसी द्वारा बिहार से लाकर आरोपी को गिरफ्तार कर मां से मिलवाया है। 07 जुलाई 24 को प्रीति (Preeti) पति स्व. बृजेश ओझा (Brijesh Ojha) उम्र 28 साल निवासी सिराली, जिला हरदा (Harda) मप्र अपनी बहन बीनू के साथ सिराली हरदा से इटारसी आयी थी, जो प्लेटफार्म नंबर 1 सीढिय़ों के सामने चबूतरे पर, रेल्वे स्टेशन इटारसी के पास अपने बालक के साथ सो गयी थी। नींद खुलने पर देखा तो कोई अज्ञात बदमाश उसके अबोध बालक मल्हार उम्र लगभग 04 माह का अपहरण कर ले गया। मामले में उसने थाना जीआरपी आकर रिपोर्ट की।

प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों श्रीमती मृगाखी डेखा, पुलिस अधीक्षक रेल भोपाल, महेंद्र सिंह कुल्हाड़ा, उप पुलिस अधीक्षक रेल भोपाल से निर्देश प्राप्त कर थाना प्रभारी जीआरपी इटारसी निरीक्षक रामस्नेह चौहान के नेतृत्व में तत्काल टीम गठित करते हुए रेल्वे स्टेशन इटारसी में लगे सीसीटीवी कैमरों का बारीकी से अवलोकन किया। टीम को पूछताछ पर पता चला कि मामले के मुख्य संदेही बालक को लेकर ट्रेन दानापुर सिकंदरबाद एक्सप्रेस से बिहार की ओर गए हैं। जीआरपी इटारसी की एक टीम तत्काल आरोपियों का पीछा करते हुए बिहार रवाना हुई। टीम ने तत्काल कार्यवाही करते हुए आरोपियों सुमन करोड़ी पिता जगदीत करोड़ी उम्र 25 साल निवासी ग्राम वनमनखी थाना वनमनखी जिला पूर्णिया बिहार और वसंती देवी पति सुमन करोड़ी उम्र 22 साल निवासी ग्राम वनमनखी थाना वनमनखी जिला पूर्णिया बिहार को अपहृत अबोध बालक के साथकिशनगंज बिहार से पकडक़र इटारसी लायी। अबोध बालक की मां जिसका विगत 04 दिनों से रो-रोकर बुरा हाल था, बालक को पेश करने पर अपने बालक की पहचान की। मामले में आरोपी एवं उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर पूर्व में भी बच्चे उठाने के संबंध में पूछताछ की जा रही है। आरोपियों से पूछताछ के आधार पर ह्यूमन ट्रेफिकिंग की धाराओं का पृथक से इजाफा किया जा रहा है।

आटो चालक से मिला से मिला सुराग

दरअसल, अपहरणकर्ताओं ने सीसीटीवी कैमरों से बचने का भरसक प्रयास किया, लेकिन वे दिखाई दे गये। उन्होंने एक आटो किया और बच्चे के साथ अपने अन्य साथियों को लेकर पीछे से घूमते हुए दूसरी तरफ से प्लेटफार्म क्रमांक सात पर पहुंचे और यही से बिहार के लिए ट्रेन पकड़ी। अभी जीआरपी बच्चे की तलाश में अपना दिमाग लगा ही रही थी कि एक आटो चालक ने बताया कि उसने कुछ महिला पुरुषों को बच्चों के साथ प्लेटफार्म सात पर छोड़ा है। इस दौरान सीसीटीवी फुटेज देखी और संदेही महिलाओं को दानापुर सिकंदरबाद एक्सप्रेस में बैठते देखा। बस यहीं से जीआरपी ने पीछा किया और बच्चे को बिहार से इटारसी लाने में तीन दिन बच्चे को दूध खरीदकर गर्म कराके, बॉटल में भरकर पिलाया और पालक बनकर इटारसी तक लेकर आये। इस पूरी कवायद में जीआरपी कर्मियों का बीस हजार रुपए खर्च हो गया, लेकिन उनके चेहरे पर एक दुधमुंहे बच्चे को उसकी मां से मिलवाने का जो संतोष है, वह इन रुपयों से अधिक कीमती है।

इसलिए किया अपहरण

अपहरण कर्ता टीम जंगलों से शहद निकालकर पूरे देश में जगह-जगह जाकर शहद बेचने का काम करती है। बच्चे के अपहरण में इनका उद्देश्य फिरौती आदि पाना नहीं था। दरअसल, ये लोग बच्चे को बड़ा करके अपने लिए शहद तोडऩे, और इसी कारोबार में मदद करने का उद्देश्य लेकर अपहृत करके ले गये थे। जीआरपी इनसे अभी और पूछताछ कर रही है कि उन्होंने ऐसी कोई वारदात और भी कहीं तो नहीं की है।

सराहनीय भूमिका –

उक्त सराहनीय कार्य में जीआरपी इटारसी से निरीक्षक रामस्नेह चौहान, उपनिरीक्षक आरएस बकोरिया, सीआर तिर्की, सहायक उपनिरीक्षक अनीता दास, दिनेशचंद, गरीबदास, बृजेश शर्मा, प्रधान आरक्षक निरंजन, कृष्णकुमार, हरिओम, गोकुल प्रसाद, तृप्ति, अमित कुमार, राजेन्द्र दायमा, अमित, सुमित, विष्णुमूर्ति, दीपक सेन, आनंद, बबलू कुमार, मनोज त्रिपाठी, संतोष पटेल सायबर सेल की सराहनीय भूमिका रही।

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