- रोहित नागे
राजनीति में अपने राजनीतिक विरोधियों को पटखनी देने का खेल हमेशा चलता है। यदि विरोधी अपनी ही पार्टी का हो तो इशारों-इशारों में तीर चलाए जाते हैं, तो कुछ तीर सीधे भी चला दिये जाते हैं। वैसे पार्टी में रहकर विरोध हो जाना आम बात हो चली है। सबके अपने काम करने के तरीके हैं, सबके अपने सोचने के तरीके हैं। कुछ उसूलों पर चलते हैं, कुछ को सूली पर टांग दिया जाता है।
बहरहाल, कहा जाता है कि अपनों से भी लडऩा पड़ता है। हालांकि जिससे लडऩा ही पड़े वे अपने होते ही कहां हैं। यदि अपना है तो छोडक़र नहीं जाएगा, नहीं है तो रोकने से भी नहीं रुकेगा, यह मानव स्वभाव है। हम बात कर रहे थे, राजनीतिक पटखनी की। अब यह पटखनी है या नहीं, लेकिन दांव तो बड़ा लगाया है। कहानी शुरु हुई है, पुराने शहर में हुए एक सम्मान समारोह से। हालांकि आग तो भीतर धधक ही रही थी, उसमें एक सम्मान समारोह ने पेट्रोल छिडक़ने का काम किया और भूमिपूजन के बहाने जवाबी विस्फोट हो गया।
दूसरे विधायक का दखल
जंगल में भी वर्चस्व की लड़ाई होती है और राजनीति में भी। ऐसा ही कुछ इन दिनों देखने को मिल रहा है। एक सम्मान समारोह पुरानी इटारसी में होता है, वहां दूसरे क्षेत्र का विधायक मुख्य अतिथि होता है। हालांकि वे यह कह सकते हैं, कि जिसका सम्मान हुआ, वह हमारे विधानसभा क्षेत्र का निवासी है, लेकिन समारोह भी फिर अपने ही विधानसभा क्षेत्र में करना था।
दरअसल, सपना बड़ा पुराना है और टीस भी है। जहां हैं, वहां की लोकप्रियता इस बार के विधानसभा चुनावों में साफ दिख भी गयी। इसका जिक्र भूमिपूजन समारोह में नर्मदापुरम विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा ने भरी सभा में भी कर दिया, और संकेत भी दे दिया कि कोई गलतफहमी न पाले, हम अपनी वसीयत करके ही जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो भी समारोह किया गया था, जो लोग थे वे सब सुन लें, आटो वालों को गलतफहमी से बाहर आना होगा। हम वसीयत भी उनकी करके जाएंगे जिस समाज ने इस बार सबसे ज्यादा वोट दिये हैं। हालांकि उन्होंने इशारों में नगर पालिका अध्यक्ष पंकज चौरे से कहा कि अभी से कुछ भी मन में न पालें। वसीयत बदली भी जा सकती है। बता दें कि पिछले दिनों पुरानी इटारसी में एक सम्मान समारोह हुआ था जिसमें सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह मुख्य अतिथि थे। विजयपाल सिंह कई सालों से नर्मदापुरम से टिकट की चाहत रखते हैं, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ आती है।
आखिरी चुनाव तो 92 में भी बोला था
मंच का संचालन कर रहे भाजपा पिछड़ा वर्ग के जिलाध्यक्ष जयकिशोर चौधरी भी कहां पीछे रहने वाले हैं। उन्होंने भी मंच से कह दिया कि जो लोग यह सोचकर बैठे हैं कि डॉ.सीतासरन शर्मा का यह आखिरी कार्यकाल है, यह उनका अंतिम चुनाव था, तो वे सुन लें। डॉ. शर्मा ने 1992 में भी कहा था कि यह उनका अंतिम चुनाव है। उस घोषणा के बाद 32 साल गुजर गये हैं, वे अब भी लोगों के दिलों में खास मुकाम बनाकर बैठे हैं। सही भी है, राजनीति में कुछ भी हो सकता है, समीकरण बदलते हैं, स्थितियां बदलती हैं, लेकिन टिकता वही है जो जनता के दिलों में अपनी जगह बनाकर रखता है। चाहे विपक्षी दल हो, या पक्षीय विरोधी। कितनी भी कोशिश कर लें, होता वही है, जो निश्चित होता है।
पूर्व उपाध्यक्ष से काम चला रहे
भूमिपूजन समारोह में नगर पालिका उपाध्यक्ष निर्मल सिंह राजपूत नहीं आये। वे पिछले दिनों हुए सम्मान समारोह के संयोजक थे। डॉ. शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, आज नगर पालिका उपाध्यक्ष नहीं आये, इसलिए हम पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष से काम चला रहे हैं। हमारे पास विकल्प मौजूद हैं। पिछले दिनों हुए सम्मान समारोह में जो लोग जुटे थे, वे सभी विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा के धुर विरोधी माने जाते हैं, मंच पर ज्यादातर वे ही लोग थे। भूमिपूजन का कार्यक्रम उसका जवाब देने के लिए सबसे अधिक मुफीद था, तो विधायक ने जवाब भी अपनी चिरपरिचित शैली में दे ही दिया।
चलते-चलते
जवाबों का यह सिलसिला, आगे बढ़ेगा या फिर यहीं विराम होगा? सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं आएंगी या फिर शांति छा जाएगी। यह आने वाला समय बताएगा। वैसे शांति की उम्मीद कम हैं, क्योंकि इस समाज में वाट्सअप पर जवाब देने की परंपरा गहरी पैठ बना चुकी है। आगे-आगे देखिये होता है क्या? फिलहाल तो दांव तगड़ा लग चुका है।