इटारसी। प्रभु ईसू मसीह का दिन क्रिसमस डे (christmas day 2021) ईसाई समुदाय का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। ईसाई धार्मिक मान्यता के अनुसार क्रिसमस डे के दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था। क्रिसमस को ईसाई समुदाय के लोग बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस दिन उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है। घरों में क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है। कई जगह झांकियां निकाली जाती हैं। साथ ही शहर के गिरजाघरों को लाइटिंगो के साथ सजाया जाता है। शहर में क्रिसमस को लेकर तैयारियां भी जोरो सोरो से हो रहीं है। तो आइए जानते है इसे क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या हैं।
ऐसे शुरू हुआ था यह पर्व
ईसाई मतानुसार, 360 ईस्वी के आसपास पहलीबार रोम के एक चर्च में ईसा मसीह के जन्मदिन का समारोह किया गया। लेकिन इस समय जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन की तारीख को लेकर बहस जारी थी। इसके बाद चौथी शताब्दी में 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिवस घोषित किया गया। साल 1836 में अमेरिका में क्रिसमस डे को आधिकारिक रूप से मान्यता मिली और 25 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया।
बच्चों को उपहार देने वाले सैंटा क्लॉज है यह
संत निकोलस का जन्म 340 ईस्वी में 6 दिसंबर को हुआ था। ईसाई मान्यता के अनुसार, हर 25 दिसंबर की रात को संत निकोलस बच्चों के लिए उपहार लेकर आते हैं। यहीं संत निकोलस बच्चों के लिए सांता क्लॉज बन गए। कहा जाता है कि बचपन में ही इनके माता पिता का देहांत हो गया था। बड़े होने के बाद वह एक पादरी बन गए और उन्हें लोगों की मदद करना काफी पसंद था। कहा जाता है कि वे गरीब बच्चों और लोगों को अर्धरात्रि में इसलिए गिफ्ट देते थे ताकि उन्हें कोई देख न पाए।
यह है क्रिसमस ट्री की कहानी
कहते हैं उत्तरी यूरोप में कई हजार साल पहले क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत हुई थी। हालांकि उस समय फेयर नाम के एक पेड़ को सजाकर विंटर फेस्टिवल मनाया जाता था। धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री (christmas tree) का चलन हर जगह बढ़ता चला गया और हर कोई इस मौके पर पेड़ घर पर लाने लगा। एक मान्यता के अनुसार जीसस के जन्म के समय खुशी व्यक्त करने के लिए सभी देवताओं ने क्रिसमस ट्री को सजाया था। इसी मान्यता के अनुसार क्रिसमस के मौके पर लोग क्रिसमस ट्री को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं।