इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज (Shri Durga Navagraha Temple Lakkadganj) में त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga) का पूजन एवं अभिषेक हुआ। यजमान नरेन्द्र अनिता पटैल (Narendra Anita Patail) ने त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग के पार्थिव स्वरूप का पूजन एवं रूद्राभिषेक किया। मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे (Acharya Pt. Vinod Dubey) ने कहा कि नासिक (Nashik) के पास त्र्यबंक नगर है। इस त्र्यंबकेश्वर मंदिर का निर्माण नाना साहिब पेशवा ने कराया था। यहां प्रति सोमवार को भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) की पालकी निकाली जाती है। पुराने राजा महाराजाओं ने भगवान के सिर का मुकुट और रथ भी प्रदान किया था। इसी स्थान पर 12 वर्ष में कुंभ का विशाल मेला लगता है। जहां दुनिया भर के श्रद्धालु आते हैं।
पं. दुबे ने कहा कि त्र्यंबकेश्वर ज्योर्तिलिंग में संतान प्राप्ति के लिये अनुष्ठान किया जाता है। इस ज्योर्तिलिंग के बारे में कहा जाता है कि त्र्यंबकेश्वर दसवें ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थापित है। इस ज्योर्तिलिंग से कभी-कभी सिंह की दहाड़ सुनाई देती है और कभी-कभी आग की दिव्य ज्वालायें भी निकलती हैं। इस ज्योर्तिलिंग से अहिल्या के पति महर्षि गौतम की कथा भी जुड़ी हुई है। पं. दुबे ने कहा कि नासिक पूरे देश में काल सर्प योग की शांति के लिए जाना जाता है। यहां कालसर्प योग समाप्ति हेतु विशेष पूजन अर्चन किया जाता है एवं संतान प्राप्ति के लिए भी यहां पर विशेष अनुष्ठान होता है।
त्र्यंबकेश्वर में शिवलिंग अकेला नहीं है जलहरि में गड्डा है और शंकर महेश विष्णु रूपी तीन लिंग हैं, इन्हें ही त्र्यंबकेश्वर कहते हैं। इस जगह की खासियत यह है कि केवल शंकर जी के लिंग पर प्रकृति का पानी चौबीस घंटे बहता रहता है। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में महिलाओं एवं पुरूषों ने भगवान त्र्यंबकेश्वर अभिषेक कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर ने कम समय में प्रतिष्ठा अर्जित की है और यहां पर हिंदुओं के पवित्र धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। ज्योर्तिलिंग अभिषेक के लिए श्रद्धालु उपस्थित हुए और भगवान भोलेनाथ का बिलपत्ती, धतुरा और भांग से अभिषेक किया। मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे के साथ पं. सत्येन्द्र पांडेय एवं पं. पीयूष पांडेय ने पूजन एवं अभिषेक कराया।