यह 16 श्रृंगार के बिना अधूरा है करवा चौथ का व्रत, ये करें जरूर
करवा चौथ का व्रत

यह 16 श्रृंगार के बिना अधूरा है करवा चौथ का व्रत, ये करें जरूर

इटारसी। कार्तिक मास (Kartik Maas) की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ (Karwa Chouth) का व्रत किया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं और निर्जल व्रत (Nirjala vrat) रखती हैं। उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार है। इस दिन महिलाएं दिनभर व्रत कर रात को चांद देखकर अपने पति को तिलक करके भोजन करती हैं। साथ ही विवाहित महिलाएं गौरी और गणेश की विधि-विधान से पूजा करती हैं। इसके बाद चंद्रमा को अघ्र्य देती हैं। इस पूजा के लिए महिलाएं खूब सजती सवंरती हैं। लेकिन इस दिन 16 श्रृंगार के बिना महिलाओं का करवा चौथ व्रत अधूरा रह जाता है तो इस दिन यह श्रृंगार जरूर करना चाहिए।

यह है सौलह श्रंगार जो है जरूरी
1. बिंदी- संस्कृत भाषा के बिंदु शब्द से बिंदी की उत्पत्ति हुई है. भवों के बीच रंग या कुमकुम से लगाई जाने वाली बिंदी भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है। इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

2. सिंदूर- उत्तर भारत में लगभग सभी प्रांतों में सिंदूर को स्त्रियों का सुहाग चिन्ह माना जाता है और विवाह के अवसर पर पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है।

3. काजल- काजल आंखों का श्रृंगार है। इससे आंखों की सुन्दरता तो बढ़ती ही है, काजल दुल्हन और उसके परिवार को लोगों की बुरी नजर से भी बचाता है.

4. मेहंदी-मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है. शादी के वक्त दुल्हन और शादी में शामिल होने वाली परिवार की सुहागिन स्त्रियां अपने पैरों और हाथों में मेहंदी रचाती हैं. ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है.

5. लाल जोड़ा- आमतौर से शादी के वक्त दुल्हन को शादी का लाल जोड़ा पहनाया जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फेरों के वक्त दुल्हन को पीले और लाल रंग की साड़ी पहनाई जाती है. इसी तरह महाराष्ट्र में हरा रंग शुभ माना जाता है और वहां शादी के वक्त दुल्हन हरे रंग की साड़ी मराठी शैली में बांधती हैं. करवा चौथ पर भी सुहागिनों को लाल जोड़ा या शादी का जोड़ा पहनने का रिवाज है.

6. गजरा- दुल्हन के जूड़े में जब तक सुगंधित फूलों का गजरा न लगा हो तब तक उसका श्रृंगार फीका सा लगता है. दक्षिण भारत में तो सुहागिन स्त्रियां प्रतिदिन अपने बालों में हरसिंगार के फूलों का गजरा लगाती है. करवा चौथ पर किए जाने वाले 16 श्रृंगार में से एक गजरा भी है.

7. मांग टीका- सिंदूर के साथ पहना जाने वाला मांग टीका जहां एक ओर सुंदरता बढ़ाता है, वहीं वह सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि नववधू को मांग टीका सिर के ठीक बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है कि वह शादी के बाद हमेशा अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चले और वह बिना किसी पक्षपात के सही निर्णय ले सके।

8. नथ- ऐसी मान्यता है कि सुहागिन स्त्री के नथ पहनने से पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि होती है। इसलिए करवा चौथ के अवसर पर नथ पहनना न भूलें।

9. कर्णफूल या कान की बालियां- सोलह श्रृंगार में एक आभूषण कान का भी है। करवा चौथ पर अपना कान सूना ना रखें। उसमें सोने की बालियां जरूर पहनें।

10. हार या मंगलसूत्र- दसवां श्रृंगार है मंगलसूत्र या हार। सुहागिनों के लिए मंगलसूत्र और हार को वचनबद्धता का प्रतीक माना जाता है। सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है।

11. आलता-नई दुल्हनों के पैरों में आलता देखा होगा आपने, इसका खास महत्व है। 16 श्रृंगार में एक ये श्रृंगार भी जरूरी है करवा चौथ के दिन।

12. चूडिय़ां- सुहागिनों के लिए सिंदूर की तरह ही चूडिय़ों का भी महत्व है।

13. अंगूठी- अंगूठी को 16 श्रृंगार का अभिन्न हिस्सा माना गया है।

14. कमरबंद- कमरबंद इस बात का प्रतीक है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी है।

15. बिछिया- पैरों के अंगूठे में रिंग की तरह पहने जाने वाले इस आभूषण को अरसी या अंगूठा कहा जाता है और दूसरी उंगलियों में पहने जाने वाले रिंग को बिछिया।

16. पायल- माना जाता है कि सुहागिनों का पैर खाली नहीं होना चाहिए. उन्हें पैरों में पायल जरूर पहनना चाहिए।

 

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!