ये हमारे हीरो…हरिओम! नाम है, ईश्वर का और काम भी हरि के भरोसे
इटारसी। हरिओम! नाम है, ईश्वर का और काम भी हरि के भरोसे, हरिइच्छा तक चलेगा। पिछले कई बरस से ऐसे लोग जिनका कोई नहीं, ऐसे लोग जो आर्थिक विपन्नता के कारण खर्च नहीं कर पाते हैं, उनके परिजनों की मौत पर अंतिम संस्कार करा रही है यह संस्था। इसमें किसी एक का नहीं बल्कि एक से अधिक लोगों का योगदान रहता है। बीते करीब एक दशक से यह संस्था ऐसे लोगों के अंतिम संस्कार में हर तरह से मदद करती है। इस कोरोनाकाल में, जब लोग आर्थिक तौर पर पूरी तरह से टूट चुके हैं। कई ऐसे परिवार जो मुफिलिसी में जीवन यापन करके किसी तरह जिंदगी की गाड़ी खींच रहे थे, उनके परिवार में मृत्यु के बाद उनके पास अंत्येष्टि के लिए भी पैसे नहीं थे, हरिओम ही उनकी मदद के लिए सामने आयी है। शांतिधाम जनभागीदारी समिति के सदस्य प्रमोद पगारे के सहयोग से हरिओम ने कोरोना के इस दूसरे दौर में पिछले तीन माह में लगभग डेढ़ दर्जन लोगों की मदद करके अंत्येष्टि करायी है।
ये लोग करते हैं मदद
दरअसल, बीते कई वर्षों से हरिओम यह काम कर रहा है। कभी जीआरपी से प्राप्त संदेश के बाद ऐसे शव जिनका कोई परिजन या मित्र सामने नहीं आता, उनकी अंत्येष्टि में मदद से प्रारंभ हुआ यह सिलसिला प्रभु के भरोसे, हरि की इच्छा तक चलता रहेगा। इसमें समाजसेवी गोपाल सिद्धवानी, नर्मदा अस्पताल के संचालक डॉ. राजेश शर्मा, डॉ. धीरज पाठक, मनोज सारन, धर्मदास मिहानी, अभिदीप धारगा छोटू, आलोक गिरोटिया, प्रशांत जैन, राजा जैन, प्रहलाद बंग, चंचल पटेल के अलावा कई ऐसे नाम भी हैं जो गुप्त रूप से इसके लिए दान करते हैं। गोपाल सिद्धवानी का कहना है कि यह हरि का काम है, हरिइच्छा तक चलेगा। उस प्रभु ने इसके लिए जिनको चुना है, वे अपना-अपना काम बखूबी कर रहे हैं, वहीं प्रभु है जो हम लोगों से यह नेक काज करा रहा है, हम तो उसके आदेश का पालन कर रहे हैं, मदद करना हमारे हाथ नहीं, ऊपर वाले की कृपा है जो यह काम हो रहा है।