झरोखा – अद्भुत झरनेश्वर शिव एवं माता त्रिपुर सुंदरी मंदिर
पंकज पटेरिया
श्यामला हिल्स की पहाड़ी अब सरकारी आवासीय क्षेत्र, और सरकारी दफ्तरों से घिरी है। 24 घंटे वाहनों का शोर शराबा, आमद-ओ-रफ़्त रहती है।
हरियाली से भरा पूरा इलाका बहुत सुरम्य है। इसी के मध्य में स्थित है देवा दी देव भगवान भोलेनाथ का मंदिर। जिसकी ख्याति झरनेश्वर महादेव के रूप में चतुर्दिक है। भले श्यामला पहाड़ी पर बहुत बसाहट हो गई, आकाशवाणी केंद्र दूरदर्शन सीएम हाउस, के अलावा नवाबी दौर की बेगम की रहवास के महल आदि भी है, जो अब होटल में कन्वर्ट हो गए हैं।
यह मंदिर उसी नवाबी दौर का है। कहते हैं तब यहां घनघोर जंगल था। 12 महीने 24 घंटे अनवरत झरना बहता रहता था। जो आगे जाकर बाणगंगा मे मिलता हैं। जो कभी नदी होती थी। आज भले बह नाला हो गया है। खैर किसी को नहीं मालूम कि झरने का स्रोत कहां है। तभी किसी साधक महात्मा यहां शंकर जी को बिराज दिया। नाम दे दिया झरनेश्वर। तभी से उनकी प्रसिद्धि इसी रूप में हो गई। धर्मालु भक्त गण आना शुरू हुआ। प्रसिद्धि बढ़ती गई। अब शिव रात्रि, श्रावण मास को तो खासा श्रद्धालुओं का मेला लग जाता है। तो सोमवार विशेष भी खासी भीड़ धर्म प्राण जनों की लगी रहती है। भोले नाथ की कृपा से परेशान हाल लोगों, पर कृपा वृष्टि होती रहती हैं।
पंडित दीपक जी बताते हैं कि अनेक कन्याओं के महादेव जी की कृपा से हाथ पीले हुए। दीपक जी कीर्ति शेष शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज के शिष्य हैं। यहां के रमणीक वातावरण से प्रभावित होकर आदिशक्ति मां त्रिपुर सुंदरी देवी जी के मंदिर की स्थापना यहां करवाई। जानकारी के अनुसार एक समाचार पत्र समूह ने भी यहां बहुत व्यय कर निमार्ण कार्य करवाए। स्वरूपा नंद जी महाराज जी एक और शिष्य पंडित गौरव रिछारिया ने बताया कि महाराज जी जीवनकाल में सदा यहां आते रहते थे। मन्दिर में अन्य देवी देवता के सुंदर मनोहारी विग्रह के अलावा स्वरूपा नंद जी की भी भव्य प्रतिमा है।

जगत जननी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता जी के मंदिर निर्माण के बाद इस सिद्ध स्थान का कीर्ति दूर दूर तक व्याप्त है। बर्ष भर धर्म प्रेमी जनो की आवाजाही बनी रहती है। इसकी गिनती राज धानी भोपाल के प्रमुख मंदिरों में होती है।
शहरी जीवन की भागम भाग भरी दिनचर्या में ऊब टूट रहे लोगों को यहां पहुंच अपार शांति और ऊर्जा मिलती है।जिसे पाकर फिर बह नई ताजगी स्फूर्ति से भरकर जीवन पथ पर कर्तव्य निर्वाह में लग जाता है।
नर्मदे हर।
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार कवि
संपादक, शब्द ध्वज।
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