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ओरछा-अयोध्या के साथ इटारसी में एक साथ होता है श्री राम विवाह

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34 सालों में दो हजार जोड़ों ने लिए फेरे
इटारसी। श्री देवल मंदिर काली समिति पुरानी इटारसी के तत्वावधान में पिछले 34 सालों से श्री राम विवाह महोत्सव एवं निशुल्क सामूहिक विवाह का आयोजन किया जा रहा है। समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, भेदभाव जैसी कुरीतियों के खात्मे और सामाजिक समरसता का अनूठा संदेश देने वाला यह आयोजन पूरे प्रदेश में ख्याति प्राप्त कर चुका है। इस साल 35 वें वर्ष में धूमधाम से यह कार्यक्रम होगा। समिति सदस्य जयप्रकाश करिया पटेल ने बताया कि अभी तक 24 जोड़ों का पंजीयन हो चुका है। इस आयोजन में हरदा, बैतूल, होशंगाबाद, खंडवा, भोपाल, रायसेन, जबलपुर समेत पूरे मप्र से लोग शामिल होते हैं। समिति अभी तक 2 हजार से ज्यादा जोड़ों का विवाह करा चुका है।
ऐसे शुरू हुई परंपरा : देवल मंदिर के महंत ब्रह्मलीन दामोदर दास और सहारनपुर के महंत ब्रह्मलीन सुंदरदास जी रामायणी के सहयोग से 1984 में पहली बार राम विवाह एक जोड़े से शुरू कराया था। पहली बारात रामजानकी छोटा मंदिर से निकाली गई थी। दो साल सिर्फ राम विवाह हुए, इसके बाद एक जोड़े से सामूहिक विवाह की शुरूआत हुई। पं. स्व. कैलाश नारायण शर्मा शास्त्री के मागर्दशन में यह आयोजन मार्गशीर्ष श्री पंचमी के अवसर पर परंपरानुसार होता रहा।

अयोध्या- ओरछा और इटारसी
श्री पंचमी पर अयोध्या, ओरछा के साथ मप्र का इटारसी ऐसा शहर है, जहां श्री राम विवाह एक साथ होता है, इस लिहाज से यह प्रदेश का बड़ा समारोह है। समिति के मुताबिक 34 सालों में 2 हजार से ज्यादा जोड़ों का विवाह हो चुका है। अभी जोड़ों का पंजीयन जारी है।

संत समागम होगा
इस आयोजन में चित्रकूट, अयोध्या, वृंदावन, ऋषिकेश, ओरछा, सहारनपुर समेत पूरे देश से साधु-संतों, विद्वान विप्रों का समागम होता है। समिति सभी संतों का स्वागत सत्कार कर उन्हें आयोजन में शामिल करती है। विदाई में सभी संतों का सम्मान किया जाता है। एक दिसंबर को द्वारकाधीश बड़ा मंदिर से दूल्हे राजा भगवान राम के साथ भव्य बारात लेकर जनकपुरी देवल मंदिर पहुंचते हैं। यहां हिन्दू रीति से सभी जोड़ों का विवाह कराया जाता है। समिति के सहयोग से सभी जोड़ों को गृहस्थी का सामान, उपहार, कपड़े एवं अन्य सामग्री भेंट की जाती है। भंडारे में वर-वधु के साथ हजारों लोग आयोजन के साक्षी बनकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
ऐसी समिति जहां राजनीति नहीं- देवल मंदिर काली समिति के आयोजन की खास बात यह है कि समिति में कोई नेता-पदाधिकारी नहीं है। पूरी टीम रामसेवक के रूप में इस भव्य कार्यक्रम को साकार रूप देती है। समिति का एक नारा है राम बोलो, बस इसी के सहारे पूरा कार्यक्रम निर्विघ्न और धूमधाम से संपन्न् होता है। कई माह पहले गांव-गांव से सहयोग राशि, अनाज जुटाकर हर परिवार की सहभागिता इस कार्यक्रम को साकार बनाती है।
अनूठी रहती है राम बारात – श्री राम बारात में हाथी, घोड़े, बैंड-बाजे, बग्गी, रामसखियां, अखाड़े के साथ लोक कलाकारों की प्रस्तुति से 2 किमी. से ज्यादा लंबी बारात होती है, इसमें पूरा शहर शामिल होता है। बग्गी में देवल मंदिर में विराजे रामलला दूल्हा बनकर बारात निकालते हैं और जनकपुरी में माता सीता का वरण करते हैं।

यह होंगे कार्यक्रम
26 नवंबर – सुंदरकांड, रामलीला मंचन
27 नवंबर – सीताराम अखंड कीर्तन
28 नवंबर – भजन श्रृंखला
29 नबंबर – महिला मंडल द्वारा रामसत्ता
30 नबंबर -मंडपाच्छादन एवं सत्यनारायण कथा
1 दिसंबर -बारात स्वागत, वरमाला एवं पाणिग्रहण संस्कार, कन्याभोज।

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