दो दिन में बदलें हालात, छिड़काव, फॉगिंग करें
इटारसी। उफ! इतनी गंदगी, कितना पानी भरा है, दो दिन में हालात सुधरने चाहिए। हर हाल में यहां की तस्वीर बदलें। मलेरिया ऑयल डालें, ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव करें, फॉगिंग करें।
नाराजगी भरे अंदाज़ में आज शाम सीएमओ अक्षत बुंदेला ने यह निर्देश नगर पालिका के स्वच्छता विभाग के अधिकारियों को दिए। सीएमओ ने हैरत जतायी कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 के बावजूद क्यों इस तरह के हालात हैं। सीएमओ दरअसल, निरीक्षण करने वहां गए थे, जहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों का निर्माण होना है। यहां कुछ ऐसे लोग अब भी रह रहे हैं, जिनको आईएचएसडीपी योजना के तहत मकान आवंटित हो चुके हैं। ये लोग नए मकान में भी शिफ्ट हो गए और पुरानी झुग्गी भी खाली नहीं की है। अब चूंकि प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान बनने हैं तो नगर पालिका को जगह चाहिए। झुग्गियां हटेंगी तो मकान बनेंगे। इसका निरीक्षण करने पहुंचे तो आईएचएसडीपी योजना के तहत बने मकानों के पास बड़ी मात्रा में पानी भरा देखकर उनका गुस्सा फूट पड़ा।
भरी पड़ी थी नालियां
ओझा बस्ती के पास एकीकृत आवास और मलिन बस्ती विकास कार्यक्रम अंतर्गत मकानों का निर्माण नगर पालिका ने किया है। इसमें से करीब सौ मकान बनाकर गरीब परिवारों को आवंटित भी कर दिए हैं। आज सीएमओ इसी कालोनी के पास बनी झुग्गी बस्ती को देखने गए थे ताकि इनको खाली कराके यहां प्रधानमंत्री आवास के अंतर्गत काम प्रारंभ कराया जा सके। लेकिन, वहां के हालात देखकर उनको हैरानी हुई। यहां नालियां बुरी तरह से मलबे से भरी हुईं थीं। खाली प्लाट पर बड़ी मात्रा में पानी भरा था, यहां बदबू भी आ रही थी। सीएमओ ने तत्काल स्वास्थ्य अधिकारी सुनील तिवारी और स्वच्छता निरीक्षक आरके तिवारी को यहां की सफाई कराने, मलेरिया ऑयल डलवाने, ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव और फॉगिंग कराने के निर्देश दिए।
नाली की ढाल बनी बचाव की ढाल
सीएमओ ने जब पानी भराव और नालियों में भरा मलबा और पानी के विषय में स्वच्छता विभाग के अधिकारियों से जवाब मांगना शुरु किया तो, बचाव में जवाब आया कि नाली का ढाल गलत है, इसे उत्तर तरफ होना था, लेकिन दक्षिण तरफ कर दिया और ढाल कम भी है, जिससे पानी निकासी नहीं हो पाती है। जवाब में सारा ठीकरा पुराने सब इंजीनियर पर फोड़ दिया। सीएमओ श्री बुंदेला ने सब इंजीनियर आदित्य पांडेय को कहा कि चार दिन में नाली का ढाल सुधारें ताकि यहां का पानी निकाला जा सके। अब करीब आधी नाली को पूरी तरह से तोड़कर उसका रुख मोड़ा जाएगा और उसका ढाल सांकलिया नाले की तरफ ले जाकर यहां का पानी उसमें ले जाया जाएगा ताकि इस मलिन बस्ती में रहने वालों को गंदगी की समस्या से मुक्ति मिल सके।
तीन माह में बदलेगी कचरे अड्डे की सूरत
सारे शहर का कचरा, वर्तमान में जहां फैंका जा रहा है, उससे शहर को भी काफी दिक्कत थी। एक समय न्यास कालोनी बायपास पर लोग सुबह की सैर करने जाया करते थे। लेकिन यहां कचरा डंप होने से गंदगी और बदबू के कारण लोगों ने जाना बंद कर दिया। यहां से गुजरने पर जानलेवा बदबू का सामना करना पड़ता था। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद नपा ने इस जगह की सूरत बदलने का प्लान तैयार किया है। यहां एक कंपनी को काम दिया है जो यहां एक प्लांट लगाकर हर दिन करीब 35 टन कचरे का निष्पादन करके उसे खाद में तब्दील करेगी। यहां के कचरे से पॉलिथिन, कांच आदि अलग कराके ओझा बस्ती के लोगों को रोजगार दिया जाएगा। कंपनी से 9 माह का अनुबंद हो चुका है। संभवत: शुक्रवार तक कंपनी प्रतिनिधि पहुंच जाएंगे।
यह है योजना
दरअसल, कचरा अड्डा समाप्त करने की योजना में नपा अभी यहां प्लांट लगाने के लिए मुरम डालकर बैस तैयार कर रही है। कंपनी यहां कचरे से खाद बनाएगी, पन्नी और अन्य पदार्थ अलग कराए जाएंगे। यहां इस काम से समीप की ओझा बस्ती के लोगों को उनके मुताबिक काम भी मिल जाएगा। खाद बनाने लायक कचरे से खाद बनायी जाएगी और एक अन्य कंपनी यहां खाली जगह में कारपेट घास लगाकर इस स्थान पर एक अच्छा पार्क विकसित करेगी ताकि अब तक शहर का सबसे गंदा दिखने वाला यह स्थान सबसे सुंदर दिखने लगेगा। सब इंजीनियर आदित्य पांडेय ने बताया कि इस स्थान की सूरत दो से तीन माह में अब से काफी अलग दिखाई देने लगेगी और अब तक इस स्थान के पास से गुजरने में भी परहेज करने वाले, यहां बार-बार आना चाहेंगे।
इनका कहना है…!
हमने कचरा डंप करने वाला स्थान देखा है। आईएचएसडीपी योजनांतर्गत बने मकानों के पास काफी पानी भरा था, सेनेट्री विभाग को दो दिन में सफाई, फॉगिंग और पावडर छिड़काव के निर्देश दिए हैं।
अक्षत बुंदेला, सीएमओ