आने वाले दिनों में आमजन की परेशानी बढऩे के संकेत
इटारसी। गांवों से शहरों को आने वाला दूध आज नहीं आया। जिन गांवों से दूध आता था, वहां एक साथ आज ही के दिन दूध वालों को गांव से शहर आने पर रोकना बिना प्रशासनिक आदेश या प्रयास के संभव नहीं हो सकता है। कैसे शहर के चारों तरफ के गांवों में लोगों ने एक साथ एक ही तरह से दूध वालों को शहर आने से रोका। बताते हैं कि कुछ स्थानों पर तो बाकायदा पुलिस भी लगी थी। बताते हैं कि सिवनी मालवा में ऐसा निर्णय लिया गया है कि इटारसी तरफ से आने वाली सीमा को सील किया जाए। लेकिन अन्य गांवों से भी ऐसा ही किया गया तो संदेह होना लाजमी है।
सुबह ग्राम बम्होरी से आने वाले मार्ग पर ग्रामीणों ने उसे सी कर दिया। गांव के लोगों ने गांव से शहर के रास्ते पर पुलिया के किनारे सड़क पर बड़े से पेड़ को पटककर रास्ता ही बंद कर दिया। कुछ जगह कांटोंभरी झाडिय़ां लगा दी और सरपंच और डोलरिया पुलिस की मौजूदगी में ग्रामीणों ने दूधवालों को शहर आने से रोका। मुख्यमंत्री के आवश्यक वस्तुओं की रोक नहीं लगाने के आदेश के बावजूद इस तरह की चीजें होना शहर के बच्चों के लिए दुखदायी है जो बिना दूध के रह नहीं सकते।
इसी तरह से खबर मिली है कि ग्राम आज बैराखेड़ी में भी दूध वाले को वहां के सरपंच ने आने नहीं दिया। बताते हैं कि यहां ग्रामीणों ने सड़क खोदकर रास्ता बंद कर दिया था। इधर सिवनी से इटारसी की ओर आने वाले हर रास्ते को बंद कर दिया था। सिवनी में कल प्रशासनिक एवं गणमान्य नागरिकों की मीटिंग में यह निर्णय लिया है। घाटली से से आने वाले दूध विक्रेता के न आने का भी यही कारण बताया गया है। इधर इस मामले में एसडीएम सतीश राय ने कहा कि दूध नहीं आने या गांवों से रोक जैसे कोई निर्देश नहीं दिये गये हैं।
नॉन कंटेन्मेंट में भी बढ़ी परेशानी
प्रशासन का पूरा फोकस फिलहाल कंटेन्मेंट जोन में सुविधाएं देने में है, नॉन कंटेन्मेंट जोन में भी अब परेशानियां बढऩे लगी हैं। राशन दुकानों से आमजन को राशन मिल नहीं रहा है, किराना दुकानों पर माल नहीं होने से होम डिलेवरी में पर्याप्त सामान नहीं आ रहा है, किराना की दुकानें बंद हैं, दूध भी गांवों से आना बंद हो गया है, जो पैकेट्स का दूध आ रहा है, वह रेलवे स्टेशन के आसपास बिक रहा है, मोहल्लों में सभी जगह दूध नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में आमजन जिनके यहां बच्चे बिना दूध के रह नहीं पाते, उनको सर्वाधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सूखी चीजों से सब्जियां और खाना पकाकर खाने वालों के यहां अब यह राशन भी लगभग खत्म होने की कगार पर है, दवा की दुकानों पर दवाएं खत्म हो चली हैं और दवा दुकानदार अब वैकल्पिक दवाएं देने लगे हैं। ऐसे में जल्द ही किराना और दवाओं की बाहर से सप्लाई प्रारंभ नहीं करायी गयी तो लोग दवा और किराना के लिए परेशान होंगे और असंतोष बढऩे से प्रशासन की ही परेशानी बढ़ेगी। आला अफसरों को अब किराना, दवा और दूध की सप्लाई पर भी ध्यान देना होगा।