भोजन के चार हजार पैकेट प्रतिदिन बांटे
इटारसी। कोरोना महामारी के लिए जब लॉकडाउन हुआ तो शहर की सचखंड लंगर सेवा समिति ने भी गरीबों के पेट भरने के लिए अपनी महत्वपूर्ण सेवा अदा की है। समिति के सदस्यों ने दोनों वक्त न सिर्फ शहर के गरीब तबके के लोगों के भोजन की चिंता की बल्कि पैदल निकल रहे यात्रियों को भी भोजन उपलब्ध कराया। शहर के लगभग एक दर्जन संगठनों के साथ ही सचखंड लंगर सेवा समिति के इस महाप्रयास से शहर ने सेवा की एक मिसाल कायम की है।
सचखंड लंगर सेवा समिति पंजाबी मोहल्ला के सदस्य विगत 13 वर्षों से ट्रेनों के अंदर लंगर की सेवा करती आ रही है। लंगर की परंपरा को आगे रखते हुए इस वैश्विक महामारी में समिति की इटारसी में लंगर की सेवा निरंतर जारी रही। लॉक डाउन के बाद से ही लंगर की सेवा घर घर जाकर दी जाने लगी थी। शुरुआत में भोजन के पैकेट की संख्या सुबह 160 पैकेट और 160 पैकेट शाम से शुरू हुआ। ढाई क्विंटल आटा, 80 किलो चावल, 50 किलो दाल या डेढ़ क्विंटल सब्जी की निरंतर सेवाएं दी जाती रही। दिन प्रतिदिन भोजन के पैकेट की संख्या बढ़ती जा रही थी। लगभग 3800 पैकेट तैयार किए जाते थे। अपनी जान की बिना परवाह किए 20 से 25 सेवादारों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में घर-घर जाकर भोजन के पैकेट दोनों समय के वितरण किए जाते थे।
मजदूर पदयात्रियों की सेवा
सचखंड लंगर सेवा समिति ने महाराष्ट्र एवं अन्य राज्यों से प्रवासी मजदूरों की भी सेवा की। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी, कोरोना योद्धाओं को भी निरंतर भोजन के पैकेट वितरण किए जाते थे, और रात्रि में 12 बजे और 1 बजे भी सूचना आने पर भोजन के पैकेट तैयार कराकर मजदूरों को दिए जाते थे, साथ में दवाई एवं मास्क दिए जाते थे। सभी के सहयोग से लंगर सेवा समिति निरंतर 72 दिनों से चल रही है। आज पाठ उपरांत अरदास कर छठवें गुरु साहिब श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी महाराज के प्रकाश पर्व मनाया। लंगर समिति द्वारा मिस्सी रोटी, छाज, और प्याज का लंगर छकाया गया। इसके उपरांत समाप्ति कर लंगर सेवा की समाप्ति की गई।
गुरुओं की वाणी से प्रेरणा लेकर चली लंगर सेवा

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