चिंदियों से उपयोगी कपड़ा ढूंढ बनाए मास्क, पुलिस को किये भेंट

Post by: Manju Thakur

इटारसी। काम छोटा हो या बड़ा, जब कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो प्रकृति अपने साथ हो जाती है। ऐसे ही जज्बों से से गुजरती सूरजगंज निवासी अमीषा पटेल ने चिंदियों से उपयोगी कपड़ा ढूंढ कर मास्क बनाए। गर्ल्स कालेज में बीएससी सेकंड इयर की पढ़ाई कर रही अमीषा फाइव एमपी बटालियन की एनसीसी कैडेट है। अमीषा पढ़ाई के साथ आईपीएस की तैयारी भी कर रही है। अमीषा ने अपनी मां की सिलाई मशीन से 100 मास्क बनाए और इन्हें स्थानीय थाने में जाकर शहर में ड्यूटी करने वाले पुलिस जवानों को भेंट किया।

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उनके मन में ये ख्याल कैसे आया प्रश्न के उत्तर में अमीषा ने बताया कि बुधवार को मां पापा की शादी की सालगिरह थी। 4 साल पहले पापा राजेश पटेल का निधन हो गया। मां रंजना खेती के साथ अब सिलाई करके हमें पढ़ा रहीं हैं क्योकि पापा चाहते थे हम बड़े अफसर बनकर परिवार का नाम रोशन करें। जन्मदिन, विवाह सालगिरह पर पापा हमेशा जरूरतमंदों की मदद करने की बात सिखाते थे। इस साल मैने पापा की सीख याद किया और जब पता चला कि पुलिस के जवान कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं तो सिलाई करने के बाद बच जाने वाले कपड़ों से साबुत कपड़े चुनकर पुलिस के जवानों के लिए मां की सिलाई मशीन से 100 मास्क बनाए हैं। इन्हें स्थानीय थाने में जाकर शहर में ड्यूटी करने वाले पुलिस जवानों को भेंट किया। मां को एनिवर्सिरी पर यही गिफ्ट दिया है कि हम आपकी सिखाई कोई बात नहीं भूले।
अमीषा ने बताया डबल लेयर वाला दाढ़ी के नीचे से नाक के ऊपर तक के हिस्से को कवर करने वाले मास्क को बनाने के लिए 10 इंच लंबे और आठ इंच चौड़े काटन के कपड़ों की जरूरत थी। लाकडाउन के कारण दुकाने बंद हैं। शहर में हाटस्पाट बढ़ रहे हैं और पुलिस के जवान ड्यूटी पर हैं। अखबार में पुलिस के जवानों के संक्रमित होने की खबर पढ़ी तो लगा हमारी सुरक्षा के लिए इनका सुरक्षित रहना जरूरी है। इसलिए कपड़ों की सिलाई के बाद बची चिंदी से पर्याप्त आकार के अलग- अलग कपड़े चुनकर मास्क बनाए हैं। खास बात यह है कि यह मास्क कचरे में जाकर पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुचाएंगे। मास्क बनाने में मां रंजना पटेल और आंटी मनोरमा अग्रवाल ने भी सहयोग किया।

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