इटारसी। हर मनुष्य को चाहिए कि वह चित्र नहीं चरित्र को सुन्दर बनाये, तभी वह अपने मानव मूल्यों को पूर्ण कर सकता है। उक्त बातें संत श्री महावीर दास ब्रह्मचारी ने ग्राम सोनतलाई में श्रीशतचंडी महायज्ञ एवं श्रीराम चरित मानस प्रवचन समारोह में व्यक्त किये।
संत महावीर दास ने कहा कि नर हो या नारी सभी अपने सांसारिक चित्र को ही संवारने में लगे हैं, चरित्र को संवारने की किसी चिंता नहीं। ईश्वर हमारे चित्र को नहीं चरित्र को देखता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि श्री हनुमान जी महाराज जिनका चित्र तो बंदर जैसा था लेकिन चरित्र इतना महान था कि उन्हें त्रेता से वर्तमान में भी समूचे विश्व में पूजा जाता है। झांसी के पीठाधीश्वर रामानंदाचार्य महामंडलेश्वर धीरेन्द्राचार्य महाराज ने कहा कि जिसका चरित्र सुंदर होता है। उसका चरित्र अपने आप संवर जाता है। इसी सुन्दर चरित्र के निर्माण का ज्ञान हमें श्रीराम चरित्र मानस से प्राप्त होता है। जिसकी संरचना श्री बाल्मिकी जी ने की एवं इसे सरल शब्दों में हम तक पहुंचाया गोस्वामी श्री तुलसीदास जी ने। महायज्ञ के लिये बीना से 11 सदस्यीय ब्राह्मणों का समूह सोनतलाई आया है। प्रथम दिन के यज्ञ एवं प्रवचन के दौरान विद्वान विप्र एवं प्रवर्चनकर्ताओं का स्वागत संयोजक राजीव दीवान एवं मुख्य यज्ञवान पं. मोहित भार्गव ने किया।
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चित्र नहीं, चरित्र सुंदर होना चाहिए : संत महावीर दास
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