जब राजा दायित्व नहीं निभा पाते तब होता अवतार – पाण्डेय

Post by: Manju Thakur

इटारसी। संसार सागर के संचालन में जब सत्ता संचालक अपना राज धर्म भूल जाते हैं वह अपनी प्रजा की रक्षा नहीं कर पाते हैं तब परमात्मा मानव अवतार धारण कर अपनी लीलाओं के माध्यम से सत्ताधारियों को उनका कर्तव्य पालन स्मरण कराते हैं तथा प्रजा रूपी जनमानस की रक्षा करते हैं। उक्त उद्गार कथावाचक जगदीश पांडेय ने ग्राम ढाबाकलॉ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यक्त किए।
उन्होंने मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम एवं लीला पुरुषोत्तम श्री कृष्ण के जन्म प्रसंग की कथा का सुन्दर सांसारिक वर्णन किया. उन्होंने कहा कि ईश्वर की विशेष अनुकंपा प्राप्त योग्यवान मनुष्य को राष्ट्रसत्ता के संचालन की जिम्मेदारी प्राप्त होती है, लेकिन कुछ सत्तासीन इसके निर्वहन में अक्षम साबित हो जाते हैं तो कुछ सत्ता के मद में चूर होकर अपने राजधर्म को भूलकर सत्ता का दरुपयोग करने लगते हैं, जैसे कि रावण व कंस ने किया तो परमात्मा ने मानवीय लीलाओं से इन कुकर्मी राजाओं को पहले तो उनका राजधर्म स्मरण कराया और जब वे नहीं माने तो उनका उद्धार कर राष्ट्रधर्म की पुनस्थाकपना की। श्री कृष्ण जन्मोत्सव में कथा पंडाल को मथुरा-वृंदावन के स्वरूप में सजाया था। कथा के अंत में माखन मिश्री एवं पंजीरी का प्रसाद श्रोताओं को वितरित किया।

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