इटारसी। जिले में रबी फसल कटाई के बाद खेतों में बची नरवाई में लगी आग से पिछले वर्षों में न सिर्फ करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है, बल्कि जनहानि भी हो चुकी है। जिले में अब तक सबसे बड़ी घटना पिछले वर्ष ग्राम पांजराकलॉ की मानी जा रही है, जिसमें आधा दर्जन से अधिक मौतें हुई थी और प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ भी पांजराकलॉ आए थे। पिछली घटनाओं से सबक लेकर इस वर्ष प्रदेश सरकार ने सतर्कता बरतने, नरवाई जलाने पर सख्ती करने और किसानों को जागरुक करने की योजना पर काम शुरु किया है।
जिला प्रशासन ने नरवाई न जलायी जाए, इसके लिए सभी 423 पंचायतों में मैदानी अमले की ड्यूटी लगायी है। इनमें न सिर्फ निचले स्तर के कर्मचारी वरन् उच्च अधिकारी भी शामिल हैं। गुरुवार को कलेक्टर ने आदेश जारी कर दिये हैं। जारी आदेशों में कहा है कि मप्र शासन के निर्देश पर आयुक्त नर्मदापुरम संभाग एवं जिला प्रशासन ने विशेष अभियान के रूप में रबी फसल कटाई के उपरांत नरवाई जलाने से रोकने हेतु जागरुकता अभियान के रूप में अधिकारियों को एक-एक ग्राम पंचायत को गोद लेकर, ग्राम पंचायत क्षेत्र के गांवों में किसान चौपाल, सभाएं आयोजित कर प्रचार-प्रसार करना है।
अधिकारी भी जाएंगे गांवों में
नरवाई जलाने से रोकने के लिए जो जागरुकता अभियान चलाया जाना है, उसमें तहसीलदार, नायब तहसीलदार, जनपद पंचायत सीईओ, सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री, आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त, जिला शिक्षा अधिकारी, सहकारिता विभाग, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग, वेअर हाउस जिला प्रबंधक, रेशम विभाग सहित लगभग सभी विभागों के अधिकारियों को गांवों में जाकर ग्रामीणों को जागरुक करना होगा।
ये करेंगे संबंधित अधिकारी
सभी नोडल अधिकारी, सहायक नोडल अधिकारी संबंधित ग्राम पंचायत में ग्राम कोटवार से मुनादी कराकर ग्रामसभा, किसान चौपाल करके किसानों को नरवाई में आग से होने वाले नुकसान व उनसे बचाव के उपायों की जानकारी देंगे। ग्राम पंचायत में कंबाइन हार्वेस्टर, स्ट्रा-मैनेजमेंट सिस्टम या भूसा मशीन का उपयोग कटाई में अनिवार्य रूप से करायेंगे, साथ ही चेक करेंकि कि हार्वेस्टर में अग्निशामक यंत्र अनिवार्य रूप से हों और उन यंत्रों का संबंधित थाने में पंजीयन भी हो।
अग्निशमन यंत्रों की अनिवार्यता
अधिकारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि ग्राम पंचायत में आग बुझाने से संबंधित उपलब्ध संसाधन जैसे टैंकर, ट्रैक्टर चलित पावर स्पे्रेयर आदि पहले से तैयार हों। ग्राम कोटवार, ग्राम रक्षा समिति के माध्यम से प्रचार करके आगजनी की घटनाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगायेंगे। नोडल अधिकारी उनके भ्रमण का प्रतिवेदन प्रति सप्ताह टीएल बैठक में देंगे और संबंधित एसडीएम, सीईओ जनपद पंचायत को भी अवगत करायेंगे। नोड अधिकारी, और सहायक नरवाई में आग न लगे यह सुनिश्चित करायेंगे।
पिछले वर्ष के पीडि़त गांव
पिछले वर्ष सबसे बड़ी आगजन पांजराकलॉ में हुई थी। इसके अंतर्गत कई गांव चपेट में आये थे तथा पांजराकलॉ में ही आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत जलने से हो गयी थी। इसके साथ ही रैसलपुर, बोरतलाई, घुघवासा, बैंगनियां, भीलाखेड़ी, जमानी, तीखड़, घाटली, नागपुरकलॉ, सांवलखेड़ा, बाबई, नसीराबाद के अलावा सिवनी मालवा, बाबई, केसला ब्लॉक के कुछ अन्य गांवों में आगजनी की घटनाएं हुईं थी और करीब एक माह तक संपूर्ण जिला प्रशासन परेशान हो गया था।
संस्थाओं का अभियान
खेतों में फसल कटने के बाद खड़ी नरवाई को नहीं जलाने के लिए शहर के देवी भजन गायक आलोक शुक्ला ने भी अभियान छेड़ रखा है। दिव्यांग आलोक शुक्ला ने स्वयं के व्यय पर गांव-गांव और हाट बाजारों में बैनर-पोस्टर लगवाये हैं। वे खुद भी पंपलेट्स बांट रहे हैं। मां के बेटे जागरण समिति के संचालक आलोक शुक्ला जहां भी किसान मिल रहे वहीं नरवाई नहीं जलाने का संदेश देकर किसानों से अपील कर रहे हैं कि इस गैर कानूनी कृत्य से बचें और दूसरों को भी प्रेरित करें।