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दो साल से प्रवचन कर रहा है छात्र सदभव तिवारी

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सप्तदिवसीय रामकथा बनारस में 10 जुलाई से
होशंगाबाद। कहते हैं प्रतिभाएं किसी उम्र या अनुभव की मोहताज नहीं होतीं। समय और अवसर आने पर वे अपना रास्ता खुद ही बना लेती हैं। ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा के अन्यान्न क्षेत्रों में कई प्रतिभाओं को तराशने वाली नर्मदांचल की माटी का एक नन्हा सपूत कच्ची उम्र ही वह सब करने में दक्ष हो गया, जिसके लिए सामान्य व्यक्ति को वर्षों की साधना और कई गुरूओें के सानिध्य की आवश्यकता होती है। यह होनहार किशोर समेरिटंस स्कूल में वर्तमान में कक्षा नवमीं का विद्यार्थी है, जो जल्द ही देश का ख्यातिनाम रामकथा वाचकों की पांत में शामिल होने जा रहा है। छात्र की पहली सप्तदिवसीय रामकथा बाबा विश्वनाथ के धाम बनारस में 10 से 16 जुलाई तक गुरूदेव वेदांती जी महाराज के सानिध्य और कृपा से होने जा रही है। यह बात विद्यालय समेत समूचे नर्मदांचल के लिए गौरवान्वित करने वाली है।
घर में बचपन से ही आरी निवासी दादाजी वासुदेव प्रसाद तिवारी ने पोते सदभव के हृदय में रामभक्ति और अध्यात्म का बीज रोपा। समेरिटंस स्कूल में इस बीज को समुचित अनुकूल पानी, खाद और वातावरण मिला तो यह पौधा खूब पल्लवित और पुष्पित हुआ। अब गुरूजी वेदांती महाराज की कृपा और मार्गदर्शन में यह फलित भी होने जा रहा है। छात्र सदभव तिवारी का झुकाव बचपन से ही अध्यात्म की ओर था। बचपन में ही उसे रामचरित मानस पढ़ने और प्रवचन सुनने का चाव था। दादाजी ने उसे खूब प्रोत्साहित किया। जब वह समेरिटंस स्कूल आया तो यहां भी प्राचार्य डॉ आशुतोष शर्मा के मार्गदर्शन और सानिध्य में उसका विचार पुष्ट होता चला गया।

प्रतिदिन सुनाता है चौपाई
उसकी प्रतिभा और ज्ञान को देखकर डॉ शर्मा ने स्कूल में प्रतिदिन होने वाली सुबह की प्रार्थना सभा में उसे नियमित रूप से मानस की एक चौपाई और उसका अर्थ सुनाने के लिए कहा। वह सहर्ष तैयार हो गया और कक्षा सातवीं से ही उसने यह क्रम शुरू किया जो आज भी अनवरत जारी है। इसी दौरान वह वेदांती महाराज के संपर्क में आया और उन्होंने बालक की बुद्धि-विवेक को परखकर उसे धार्मिक मंचों पर प्रवचन के लिए प्रोत्साहित किया और कई अवसरों पर मंच भी प्रदान कराया। छात्र सदभव तिवारी ने व्यासगादी संभाली और प्रवचन शुरू किए तो बड़े-बड़े विद्वान भी उसके धारा प्रवाह प्रवचन और प्रसंगों को एक-दूसरे से जोड़ने का कौशल देखकर उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके। वह अभी तक बांद्राभान, वृंदावन, सिरौजं, बनारस, काजलखेड़ी संत सम्मेलन सहित अन्य स्थानो पर प्रवचन कर चुका है। काजलखेड़ी में उसकी प्रतिभा को देखकर संतों ने उसे मानस सुमन की उपाधि से भी अलंकृत किया। शहर में हर साल होने वाली मानस चैम्पियन लीग में पिछले साल वह प्रथम स्थान पर रहा था। ज्ञात रहे कि इस प्रतियोगिता में हजारों की तादाद में विद्यार्थी शामिल होते हैं।

सभी का आशीर्वाद मिला
अपनी इस धर्म ज्ञान यात्रा के बारे में सदभव बताता है कि घर में दादाजी ने विशेष रूप से प्रोत्साहित किया। माताजी श्रीमती मधु तिवारी और पिताजी मुकेश तिवारी ने भी सदैव मार्गदर्शन किया। साथ ही स्कूल में प्राचार्य डॉ आशुतोष शर्मा के अतिरिक्त हिंदी शिक्षक प्रमोद शर्मा ने सदैव मेरा मार्गदर्शन किया। संतों में वेदांती महाराज, कृष्णचंद्र शास्त्री, श्यामसुंदर दासजी और राजेंद्र दास की विशेष कृपा प्राप्त हुई। उसने बताया कि उसे मुरलीधरजी, राजेश्वरानंदजी के प्रवचन सुनने और भक्तमाल पढ़ने का शौक है। साथ ही नियमित रूप से गीता, भागवत पुराण और मानस का नियमित पाठ भी करता है। उसने बताया कि बनारस की कथा के बाद जल्द ही होशंगाबाद में भी एक कथा का आयोजन किया जाएगा।

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