इटारसी। बालाजी मंदिर रोड गांधीनगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास पं. देवेंद्र दुबे ने अजामिल उपाख्यान, भक्त प्रहलाद, चरित्र, बावन भगवान के जन्म, धु्रव चरित्र की कथा सुनाई। नर्मदा जयंती के अवसर पर पंडित दुबे ने प्रारंभ में मां नर्मदा की उत्पति की कथा को विस्तार से बताया। प्रहलाद चरित्र के माध्यम से बताया कि हमें अपनी संतान को प्रहलाद और धु्रव की तरह संस्कार देना चाहिए। जिससे घर, परिवार, राष्ट्र, समाज और विश्व में हमारा नाम हो। धु्रव, प्रहलाद की तरह संस्कार वान यदि हर व्यक्ति अपनी संतान को बनाए तो उसका मोक्ष निश्चित है। उन्होंने कहा कि नारायण की भक्ति में ही परम आनंद आता है। उसकी वाणी सागर का मोती बन जाती है। वह ईश्वर के रस में डूब जाता है। भगवान प्रेम के भूखे हैं। वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन संभव है। वासना को वस्त्र की भांति त्याग देना चाहिए। भागवत कथा का जो श्रवण कहता है उसके पास भगवान का आशीर्वाद बना रहता है। गुरुवार को कथा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाएगा।
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नारायण की भक्ति में ही परम आनंद आता है – दुबे
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