इटारसी। नगर पालिका ने बकाया कर दाताओं ने सोलह लाख से अधिक की कर वसूली की है। इसमें जलकर, संपत्तिकर और दुकान किराया शामिल है। नपा ने यह कर वसूली आज कोर्ट परिसर में लगी लोक अदालत के माध्यम से की है। लोक अदालत के माध्यम से वसूली में नपा के राजस्व अधिकारी संजय दीक्षित, भरतलाल सिंघावने के नेतृत्व में मोहर्रिर की टीम लगी थी।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी अक्षत बुंदेला ने बताया कि नेशनल लोक अदालत के माध्यम से विभिन्न बकायादारों को 803 प्रकरणों के नोटिस जारी किए गए थे। इनमें जलकर के 145, संपत्तिकर और दुकान किराए के 658 नोटिस थे। इनमें से जलकर के 75 प्रकरणों को निराकृत किया है जबकि संपत्तिकर और दुकान किराए के 225 प्रकरण निराकृत हुए। नगर पालिका को नेशनल लोक अदालत के माध्य से जलकर के 75 प्रकरणों में 2 लाख 78 हजार रुपए और संपत्तिकर के 225 प्रकरणों में 13 लाख 65 हजार रुपए का बकाया प्राप्त हुआ है। नपा को कुल 803 में से 300 प्रकरणों में 16 लाख 43 हजार रुपए का बकाया प्राप्त हुआ है।
नेशनल लोक अदालत के माध्यम से बिजली कंपनी को महज छह लाख रुपए के बकाया की प्राप्ति हुई है। कंपनी के शहर प्रबंधक डेलन पटेल के अनुसार लोक अदालत में प्रीलिटिगेशन के 56 प्रकरणों में 5 लाख 58 हजार रुपए और कोर्ट में चल रहे लिटिगेशन के कुल 8 मामलों में 54 हजार रुपए की वसूली मिली है।
समझौता कर राजीखुशी घर लौटे दंपति
इंदौर के एक दंपति के मध्य विवाद के बाद मामला कोर्ट तक आ पहुंचा था। अधिवक्ता पारस जैन के माध्यम से दोनों का घर बचाने का प्रयास किया गया और इसमें सफलता भी मिली। पिछले दिनों पेशी पर आने पर श्री जैन ने उनको परिवार बनाए रखने के लिए समझाइश दी तो वे दोबारा साथ रहने को राजी हो गये और दोनों पिछले कुछ दिनों से साथ भी रहने लगे। आज लोक अदालत के माध्यम से दोनों के बीच समझौता के कागजात तैयार करके प्रकरण का निराकरण किया गया। अधिवक्ता पारस जैन ने बताया कि इंदौर के मुकेश जोशी का विवाह 2016 में इटारसी की अंजलि से हुआ था। शादी के कुछ दिन बाद ही दोनों में दहेज को लेकर अनबन होने लगी। बताते हैं कि मुकेश जोशी ने अंजलि के दहेज का काफी सारा सामान बेच दिया था और जो कुछ बचा था, मकान का किराया नहीं देने पर मकान मालिक को बेच दिया। वह अंजलि पर और सामान लाने के लिए दबाव बना रहा था। अंजलि इंदौर से एक वर्ष पूर्व घर वापस आयी फिर वापस नहीं गयी। मामला कोर्ट में पहुंचा और न्यायाधीश श्रीमती सपना पोर्ते की अदालत में आज दोनों समझौते के बाद फिर से साथ रहने को राजी हो गए।
तहसील विधिक सेवा समिति के तत्वावधान में विभिन्न प्रकरणों के निराकरण हेतु सात खंडपीठ गठित की गईं थी जिसमें तहसील विधिक सेवा समिति अध्यक्ष श्रीमती प्रीति सिंह द्वितीय अपर जिला न्यायाधीश, राजेश कुमार अग्रवाल तृतीय अपर जिला न्यायाधीश, श्रीमती सपना पोर्ते व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 1, देवेश उपाध्याय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1, निवेश जायसवाल व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1, श्रीमती स्वाति निवेश जायसवाल व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 एवं सुश्री कृतिका सिंह व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 के न्यायालयों की खंडपीठ शामिल थीं। खंडपीठ के सुलहकर्ता अधिवक्ताओं ने पक्षकारों को समझाईश देकर प्रकरणों के निराकरण में सहयोग दिया।
नेशनल लोक अदालत में समझौता योग्य न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के अलावा प्रीलिटिगेशन लोक अदालत में निराकरण हेतु रखे गए थे। प्रीलिटिगेशन के 3219 प्रकरण में से 511 प्रकरण निराकृत हुए और 40 लाख 29 हजार 510 रुपए की राशि वसूल की गई। न्यायालयों में लंबित राजीनामा हेतु 944 प्रकरण रखे गए जिनमें से 76 प्रकरण निराकृत हुए और कुल 86 लाख 14 हजार 996 रुपए की राशि के अवार्ड/डिक्री/ मुआवजा आदेश पारित किए गए। इस तरह से कुल 3730 प्रकरण में से 587 प्रकरणों का निराकरण हुआ और कुल 12,644,504 के अवार्ड/डिक्री/मुआवजा/वसूली के आदेश पारित किए गए। तहसील अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अरविंद गोइल एवं सचिव पारस जैन सहित समस्त अधिवक्ताओं के योगदान से नेशनल लोक अदालत सफल रही है।