फरियादी, मुलजिम और गवाह सभी थे वकील, 13 साल बाद दोषमुक्त

Post by: Manju Thakur

इटारसी। समाजवादी जन परिषद की नेता शमीम मोदी को आज न्यायिक दंडाधिकार प्रथम श्रेणी की अदालत ने 13 साल पुराने चर्चित मानहानि के मामले में दोषमुक्त कर दिया है। इस प्रकरण की खासियत यह रही कि इसमें फरियादी, मुलजिम, गवाह सभी वकील थे। मामले में बचाव पक्ष की ओर से पैरवी सीनियर अधिवक्ता पारस जैन, भूरेसिंह भदौरिया, टीनू शुक्ला और राजा पांडेय ने की।
प्रकरण के संबंध में अधिवक्ता पारस जैन ने बताया कि सुबोध तिवारी वि. शमीम मोदी के मानहानि के 13 साल पुराने चर्चित मानहानि के मामले में आज समाजवादी जन परिषद की नेता शमीम मोदी को न्यायायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, इटारसी, मीनल श्रीवास्तव ने दोषमुक्त करार दिया। वर्ष 2004 में शमीम मोदी के खिलाफ होशंगाबाद बार के पूर्व अध्यक्ष एवं कपासी, हरदा के पूर्व जमींदार सुबोध तिवारी ने दंड प्रकरण संहिता की धारा 500 के तहत मानहानि का यह मुकदमा दायर किया था। पहले यह मामला सीजेएम कोर्ट होशंगाबाद में चला लेकिन बाद में हाई कोर्ट के आदेश से इसे इटारसी स्थानांतरित किया गया। श्री जैन ने बताया कि हमने प्रकरण से संबंधित सारे दस्तावेज पेश किए और साबित किया है कि उनके खिलाफ ऐसा कुछ भी नहीं किया है जिससे उनकी मानहारि हो। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद आज न्यायालयने शमीम मोदी को दोष मुक्त कर दिया।
फैसले के बाद सजप के राष्ट्रीय सचिव फागाराम ने कहा कि इस फैसले से न्याय की जीत हुई है। शमीम मोदी ने कहा कि वो सुबोध तिवारी और आदिवासियों के बीच जमीन को लेकर कानूनी लड़ाई है उसमें वो आदिवासीयों का साथ दे रही हैं। सजप के अनुराग मोदी ने बताया कि सुबोध तिवारी ने शमीम मोदी के खिलाफ यह परिवाद दायर किया था कि उन्होंने एक दैनिक अख़बार में अपनी विज्ञप्ति के जरिए यह खबर छपवाई थी कि उन्होंने ग्राम कपासी स्थित आदिवासियों के स्कूल में आग लगवा दी और हैंडपंप में जहर डाल दिया। सुनवाई के दौरान वो अपने इस आरोप को सिद्ध नहीं कर पाए।

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