मास्टर ट्रेनरो ने बच्चों को प्रदत्त अधिकारो की दी जानकारी
होशंगाबाद। किशोर न्याय व बालको की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम 2015 एवं नियम 2016 तथा लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण की दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ बुधवार को वन स्टाप सेन्टर (उषा किरण केन्द्र) में किया गया। जिला महिला सशक्तिकरण विभाग के तत्वधान में आयोजित उक्त 2 दिवसीय कार्यशाला में प्रथम दिन मास्टर ट्रेनरों ने किशोर बालको के अधिकार व उनके संरक्षण के संबंध में संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारो की विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में उप संचालक महिला सशक्तिकरण श्रीमती मोहनी जाधव, जिला सशक्तिकरण अधिकारी सतीश भार्गव, जिला विधिक सहायता अधिकारी बी एम सिंह, सहायक संचालक सशक्तिकरण आशीष सिंह, मास्टर ट्रेनर ऋषि दूबे, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति अनिल अग्रवाल, बाल संरक्षण अधिकारी बैतूल राघवेन्द्र मीणा मौजूद थे।
कार्यशाला में जिला बाल संरक्षण अधिकारी चन्द्र शेखर नागेश ने बच्चो को प्राप्त अधिकारो की जानकारी देते हुए बताया कि पूरे विश्व में बाल जनसंख्या में से 19 प्रतिशत बाल जन संख्या भारत में है उनमें से भी 40 प्रतिशत ऐसे बच्चों की संख्या है जो कठिन परिस्थितियो में अपना जीवन निर्वाह करते है। या तो उनके माता पिता नही है या कठिन जीवन यापन की स्थिति में है। संविधान के अनुच्छेद 15 में बच्चो के लिए किशोर न्याय बोर्ड भी कार्यरत है। श्री नागेश ने बताया कि बालको के विरूध लैंगिक अपराध करना एक बहुत बडा अपराध है और इसके लिए 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है ।
श्री नागेश ने बताया कि बच्चों को जीने का, विकास का, सुरक्षा का और भागीदारी का अधिकार है। अनुच्छेद 15 (3) में महिलाओ व बच्चो के लिए विशेष उपबंध किए गए है। बच्चों का यह प्रमुख अधिकार है कि उन्हें बचपन जीने दिया जाए।
मास्टर ट्रेनर राघवेन्द्र मीना ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने बच्चों के लिए 54 प्रकार के अधिकार निर्धारित किए है। बच्चों को अपने उम्र के अनुरूप मनोरंजन करने, सांस्कृतिक, जीवन जीने व कलाओ में भाग लेने का अधिकार है। उन्होने बताया कि यदि कोई बच्चा कानून का उलंघन किया है तो उसे समाज में घुलमिल सकने एवं रचनात्मक भूमिका निभाने एवं योग्य व्यवहार पाने का अधिकार है। उन्होने उपस्थित लोगो से प्रश्न भी पूछें।
कार्यशाला के प्रथम दिन जिले के विभिन्न तहसीलो से आए पुलिस निरीक्षक, विकासखण्ड जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारीगण मौजूद थे।