मवेशियों की प्यास बुझा रहा है एकमात्र हैंडपंप

Post by: Manju Thakur

इटारसी। भीषण गर्मी के दौर में इनसान तो इनसान पशु-पक्षी भी हैरान-परेशान हैं। सतपुड़ा पर्वत से लगे जंगलों में पशुओं को अपनी प्यास बुझाने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ता है तब कहीं एकाध जगह पानी मिल पाता है।
जल, जंगल और जमीन इन्हें अगर हमने बेतहर तरीके से सुरक्षित और संरक्षित कर लिया तो समझो हमारे क्षेत्र का वातावरण व पर्यावरण दोनों बेहतर रहेंगे और हम भी खुशहाल रहेंगे। जंगल की जमीन पर रहने वाले या विचरण करने वाले पशु-पक्षी भी सलामत रहेंगे। लेकिन वर्तमान में पड़ रही भीषण गर्मी के इस दौर में न तो हम यानी इनसान सलामत हैं और ना ही पशु-पक्षी। चूंकि जल, जंगल, जमीन तीनों सुरक्षित नहीं है, जिसका उदाहरण सतपुड़ा पर्वत से लगी भूमि पर देखा जा सकता है। पथरोटा और जुझारपुर की खेतिहर भूमि से एक किलोमीटर दूर यह जमीन है जहां एक दशक पूर्व तक हरा-भरा जंगल था, छोटी मोटी झील थी। लेकिन, अब यहां न तो जंगल हैं और ना झील। जो नदियां हैं वे सूख चुकी हैं। ऐसी स्थिति में पशु पक्षी इस भीषण गर्मी में प्यास बुझाने कहां जाएं। हालांकि ईश्वर ने जीवन दिया है तो खाना पीना भी देगा, इस सोच को बल मिलता है, माता की मढिय़ा के पास लगे हैंडपंप पर। यहां इनसानों के साथ ही सैंकड़ों मवेशी भी अपनी प्यास बुझाते हैं। इनसान यहां यदा कदा ही आते हैं जबकि मवेशी हमेशा इसका लाभ लेते हैं। ग्रामीणों ने इन मवेशियों के लिए एक बड़ा सा गड्ढा खोद दिया है जिसमें पानी भर जाता है और ये मवेशी अपनी प्यास बुझाते हैं।

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