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मानव समाज के लिए आदर्शपूर्ण उदाहरण है शिव परिवार

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इटारसी। नाला मोहल्ला में आयोजित संगीतमय शिव महापुराण कथा के पांचवे दिवस में ब्रजमोहन जी महाराज ने शिव रूपी ज्ञान की गंगा प्रवाहित करते हुए कहा कि शिव महापुराण मोक्ष का बीज एवं कर्म मूल विनाशक है और भगवान सदाशिव योगीश्वर, आत्माराम तथा मायारहित है। उन्होने लोक कल्याण के लिए एवं समस्त मानवजाति के सामने एक सुखी और आदर्श परिवार का उदाहरण देने के लिए माता पार्वती से विधिवत विवाह किया।
पांचवे दिवस में आचार्य ब्रजमोहन ने श्री कार्तिकेय व श्री गणेश के जन्म प्रसंग की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि सदाशिव पार्वती के विवाहोपरान्त शिव के निकले तेज से कुमार कार्तिकेय की सरकण्डे के वन में उत्पत्ति हुई वहाँ छः कृत्तिकाओं के द्वारा कार्तिकेय का पालन पोषण हुआ तदुपरान्त पार्वती जी के शिव से आग्रह करने पर गणों द्वारा वहां से कुमार कार्तिकेय को कैलाश लाया गया उन्ही कार्तिकेय द्वारा तारकासुर नाम के दैत्य का वध हुआ।
इसके उपरान्त सखियों के आग्रह करने पर माता पार्वती ने अपने विशेष गण की रचना की अपने उबटन मैल से एक बालक बनाया जो अति सुन्दर रूप में माता पार्वती के समक्ष खड़ा होकर बोला माँ मेरे लिए क्या आज्ञा है ?, तो बालक श्री गणेश से माता पार्वती ने कहा पुत्र तुम यहाँ द्वारपाल बनकर खड़े रहो और मेरी आज्ञा के बगेर किसी को अन्दर मत आने देना। श्री गणेश ने ऐसा ही किया इसी बीच वहां भगवान शिव का आगमन हुआ लेकिन बालक गणेश ने उन्हे भी द्वारा के अन्दर जाने नहीं दिया। तब श्री शिव ने अपने गणों एवं समस्त देवताओं से बालक गणेश को द्वारा से हटाने का प्रयास किया किन्तु सब हार गए। अंत में शिव ने कुपित होकर त्रिशूल से बालक का शिरच्छेदन कर दिया। यह देख माँ पार्वती अत्यंत रूष्ठ हो गईं और उन्होने अपने सहस्त्र शक्तियों को देवताओं को विनाश करने के लिए प्रगट किया, तब उन्हे प्रसन्न करने के लिए श्री शिव ने ही बालक को गजमुख लगाकर जीवित किया और गणाध्यक्ष बनाकर सभी देवों में प्रथम पूज्य बनाया। इस प्रकार भगवान श्री गणेश का प्रादुर्भाव हुआ। पांचवे दिवस की कथा में भी भगवान श्री गणेश सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की सुन्दर झांकी सजाई गई। कथा के प्रारंभ में मुख्य यजवान ओमप्रकाश नागा आदि ने प्रवचनकर्ता श्री ब्रजमोहन जी एवं भक्ति मर्मज्ञ संगीतकार पं. पुरूषोत्तम महाराज का स्वागत किया।

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