इटारसी। रेलवे स्टेशन पर अवैध वेंडर के मामले संसद तक में गूंजे और उस वक्त आनन-फानन में तत्कालीन अफसरों पर कार्रवाई भी हुई। लेकिन, समय के साथ यह कारोबार पुन: रेलवे स्टेशन पर अपना पैर जमा चुका है। यह भी सच है कि बिना स्थानीय अफसरों की मेहरबानी के यह कारोबार फल-फूल नहीं सकता है। हाल ही में जब हमने आकलन किया तो यह धंधा पुन: चलता मिला है।
आरपीएफ जवान और एक अवैध वेंडर के बीच विवाद के बाद कुछ दिनों तक रेल सुरक्षा बल ने अवैध वेंडरों के धंधे पर लगाम कसने सख्ती दिखाई और इन अवैध वेंडरों को स्टेशन पर आने से रोका। लेकिन यह दिखावा कुछ दिन ही चला और कुछ ही दिन में ये अवैध वेंडर पुन: सक्रिय हो गए। जब अवैध वेंडरों और रेल सुरक्षा एजेंसियों के गठजोड़ की कहानी सोशल मीडिया पर एक वीडियो में वायरल हुई तो पुन: उच्च अधिकारियों ने मामले में आरपीएफ आरक्षक को निलंबित कर पुन: सख्ती बरतना शुरु कर दिया।
लगातार बढ़ती सख्ती और धंधे का हो रहे नुकसान को देखते हुए इन अवैध वेंडरों ने अब नया फार्मूला निकाला है। अब ये स्वयं यहां अपना सामान बेचने के लिए घर की महिलाओं को लेकर आये हैं जो ट्रेनों में अवैध रूप से गुटखा पाउच, सिगरेट के साथ खाने का आर्डर और पेमेंट भी वसूल रही हैं। इनके पुरुष या परिवार के सदस्य जंक्शन के चारों ओर आउटर पर फैले हुए हैं जो किसी भी ट्रेन में आते ही वहां अपना कारोबार शुरु कर देते हैं। जब तक इनकी खबर आरपीएफ को मिलती है, तब तक ये अपना सामान बेचकर सामान्य यात्रियों के बीच ही गुम हो जाते हैं। आरपीएफ एएसआई केसी कौरव का कहना है कि इन महिलाओं को पकडऩे के लिए हमारे पास महिला पुलिस कर्मी नहीं है, वहीं जीआरपी में तीन महिला पुलिस कर्मी हैं जो आफिस में तैनात हैं, उन्हें प्लेटफार्म ड्यूटी पर नहीं लगाया जाता है। इधर बड़े अधिकारी भी कैमरे पर कुछ नहीं बोलना चाहते हैं। आरपीएफ कमांडेंट से जब दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि आपसे जानकारी मिली है, जल्द ही इन अवैध वेंडरों पर कार्रवाई की जाएगी।
इधर बारह बंगला, पोर्टरखोली, बंगलिया और पीपल मोहल्ला में अवैध खानपान चूल्हे चल रहे हैं जिन्होंने अब हफ्ते-दस दिन पूर्व ही जिला खाद्य एवं औषधि विभाग से पंजीयन कराकर वैधता तो हासिल कर ली है लेकिन स्टेशन पर यह सामान बेचने का लायसेंस इनके पास नहीं है। यह कारोबारी कहते हैं कि हम स्टेशन पर लायसेंसी स्टालों को अपना सामान बेचते हैं। हमारे कोई अवैध वेंडर नहीं हैं। हालांकि इनका यह दावा झूठा है और साफ है कि इन क्षेत्रों में जो खानपान के कारखाने चल रहे हैं, उनसे ही अवैध वेंडर भी चल रहे हैं। यदि आरपीएफ ईमानदारी से काम करे तो इन क्षेत्र में चल रहे इन कारखानों की जांच भी करनी चाहिए।
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रेलवे स्टेशन और आउटर पर फिर चलने लगे अवैध वेंडर
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