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लॉक डाउन : खेतों में ही सूख गई सब्जियों की फसल

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खेत में लहलहाती फसल, किसान का चेहरे सूखे
इटारसी। सब्जियां खेत में ही सूख रही हैं। सब्जी उत्पादक किसान लॉक डाउन से पहले सब्जियों की फसल देखकर गदगद हो रहे थे वहीं लॉकडाउन से खेत में सूख रही सब्जियों के साथ इन किसानों के चेहरे की रंगत गायब हो रही है।
जिले भर में लगभग सभी क्षेत्रों में सब्जियों की खेती का काम किसान कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान इनकी फसल लेने वाले ग्राहक ही नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में खेत में खड़ी सब्जियों की फसल सूख रही हैं। इटारसी में सब्जियों की ज्यादातर खेप शहर के पूर्वी तरफ बसे गांवों से आती है। मरोड़ा, पाहनवर्री, घाटली ऐसे गांव हैं जिन्हें सब्जी के गांव के नाम से ही जाना जाता है। इन गांवों के खेतों में लॉकडाउन के चलते पूरी तरह से तैयार फसल बंद गोभी, बैगन, लौकी, टमाटर और गिलकी, आलू, प्यास की फसल ग्राहक न मिलने से खराब हो रही है। किसान बलराम कुशवाह ने बताया कि टमाटर की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है। इनमें टमाटर पौधों में लगे ही गल कर गिरने लगे हैं। ग्राहक नहीं मिलने से और शहर नहीं भेज पाने से लौकी, भिंडी, गिलकी तो मवेशियों को खिलायी जा रही है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन किसानों को नुकसान से बचाना चाहे तो कुछ रास्ता निकाला जा सकता है, अभी तो आलम यह है कि इस बार सब्जियों में लगी लागत भी निकल पाना मुश्किल हो रहा है।

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किसानों की कमर टूट गयी
इस बार सब्जी उत्पादकों की कमर टूट गई है। गोभी, टमाटर, बैंगन, भिंडी, खीरा खेतों में ही सूख रहा है। सब्जी मंडियां बंद होने के कारण किसानों ने सब्जियां खेतों में ही छोड़ दी हैं जिससे कहीं वह सड़ गईं हैं तो कहं सूख रही हैं। इटारसी के आसपास के गांवों से सब्जियां होशंगाबाद, इटारसी, भोपाल तक जाती थीं लेकिन अब प्रतिबंध लगा होने से सब्जियों की सप्लाई नहीं हो रही है। हमने सब्जी उत्पादक किसानों के सीधे खेतों पर जाकर फसल का हाल जाना तो कई जगह किसानों ने कई सब्जियों को खेतों से तोड़ा ही नहीं। लॉकडाउन खुलने के इंतजार में सब्जियां सूख गई। सब्जी उत्पादक किसान बर्बाद हो गया है। अकेले पाहनवर्री गांव में ही 200 किसान हैं जो लगभग 500 एकड़ क्षेत्र में सब्जी की खेती करते हैं। इनमें से कई किसान कर्ज लेकर सब्जियों की सफल लेते हैं और फसल बिक जाने पर कर्ज पटाते और बचत से अपना परिवार चलाते हैं। इस बार लॉक डाउन में हालत यह है कि किसानों की बचत तो दूर लागत भी निकलना मुश्किल हो रहा है।

प्रशासन कर सकता है मदद
सब्जी उत्पादक किसान बलराम कुशवाह का कहना है कि हम लॉक डाउन के कारण सब्जी नहीं बेच पा रहे हैं। लेकिन, प्रशासन चाहे तो हमें नुकसान से बचा सकता है। हम चाहते हैं कि शहर के बाहर तक हम सब्जियां पहुंचा दें और वहां से प्रशासन हमसे सब्जियां लेकर शहर में किसी भी प्रायवेट या सरकारी एजेंसी के माध्यम से नगरवासियों तक सब्जियां पहुंचा दे। हमें अधिक कुछ नहीं चाहिए लेकिन हमारी लागत ही हमें मिल जाए तो हम अगली फसल के लिए राशि का इंतजाम कर पाएं। पहले सही किसान कर्ज के बोझ से दबा है, अब अगली फसल के लिए और कर्ज कहां से मिलेगा, यही चिंता सता रही है। सब्जियां खेतों में ही सड़ और गल रही हैं, जो देखकर किसान की चिंता और बढ़ रही है। कई सब्जियां खेतों में ही पक गयी हैं। मिर्ची पक गयी, टमाटर पौधों में ही गलकर गिरने लगे हैं, लौकी पीली पडऩे लगी है। इन सब्जियों का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है तो किसानों ने कई बोरे भिंडी या तो तोड़कर फैक दी है या फिर मवेशियों को खिला रहे हैं।

इनका कहना है…!
यहां करीब दो सौ किसान सब्जियों का उत्पादन करते हैं, लॉक डाउन में सब्जियां खराब होने लगी है। प्रशासन को इसका कोई उचित हल निकालना चाहिए। हम चाहते हैं कि किसानों को उनकी लागत ही मिल जाए। ग्राम पंचायत के माध्यम से हम उच्च अधिकारियों को भी पत्र भेजकर कोई हल निकालने की मांग करेंगे।
मोहन कुशवाह, सरपंच

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शहर के बाहर ही कहीं बिक्री केन्द्र हो जाए तो किसानों के लिए काफी आसानी हो जाएगी। गांव के बाहर से भी यदि प्रशासन के प्रतिनिधि या कोई व्यापारी ले जाएं तो किसानों को नुकसान से बचाया जा सकता है। हम केवल इतना चाहते हैं कि जो किसान कर्ज लेकर सब्जियां बो रहा है, उसकी लागत ही निकल आए।
बलराम कुशवाह, सब्जी उत्पादक किसान

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ये कहते हैं अधिकारी
हमने बहुत बेहतर प्लान किया था। लेकिन, फिर दो नये कंटेन्मेंट जोन बन जाने से स्थितियां बिगड़ गईं। ऐसे में किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं लिया जा सकता है। हमें काफी सावधानी से कदम बढ़ाना है। जहां तक नुकसान की बात है तो केवल किसान नहीं, मजदूरों और अन्य सभी का नुकसान हो रहा है। थोड़ा धैर्य तो रखना पड़ेगा, यदि इस विपदा से जीतना है तो। सबका साथ है तो हम अवश्य जीतेंगे।
आदित्य सिंह, सीईओ जिला पंचायत

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