किया 21 शिक्षकों का सम्मान
इटारसी। शिक्षक के अपमान से बड़ा कोई और पाप नहीं है, शास्त्रों में भी इसका उल्लेख मिलता है। शिक्षक का अपमान करने वालों को भगवान भी माफ नहीं करता। उक्त उद्गार मप्र विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन द्वारा वर्धमान स्कूल में हुए शिक्षक सम्मान समारोह में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि भारत के भविष्य के निर्माण का जिम्मा आप लोगों के हाथों में है। हम व्यवस्था कर सकते है, लेकिन निर्माण नहीं। उन्होंने स्कूल संचालको की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करने का वायदा किया।
पूर्व मंत्री विजय दुबे काकू भाई ने कहा कि निजी स्कूल बेहतर काम कर रहे हैं, जिससे शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती गंगा उइके ने कहा कि शिक्षक देवता के समान होते हैं, हमें उनका सम्मान करना चाहिए।
जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद चौरागढ़े ने कहा कि गुरू तो गुरू होता है, फिर चाहे वह सरकारी स्कूल हो अथवा निजी स्कूल का। संगठन जिलाध्यक्ष शिव भारद्वाज ने कहा कि शिक्षकों का काम वंदनीय है। शिक्षकों को किताबी ज्ञान के साथ ही नैतिक शिक्षा, भारतीय संस्कार और इतिहास के बारे में भी विद्यार्थियों को बताना चाहिए। नगराध्यक्ष प्रशांत जैन ने कहा कि विद्यार्थी और गुरू का संबंध महत्वपूर्ण होता है, अगर गुरू का समर्पण विद्यार्थी के प्रति हो जाए तो वह गुरू, गुरू नहीं बल्कि भगवान हो जाता है। जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष जयपाल सिंह भाटिया ने कहा कि समाज में शिक्षक का अपना अलग सम्मान है। संचालन सचिव आलोक गिरोटिया एवं आभार प्रदर्शन उपाध्यक्ष संदीप तिवारी ने किया।
इनका हुआ सम्मान
इस वर्ष 21 शिक्षकों का सम्मान किया. राजेंद्ररत्न अवार्ड ममता आठनेरे, एक्सीलेंट अवार्ड सावित्री चौहान, मां नर्मदा अवार्ड खुर्शीद अली, विद्यासागर अवार्ड निर्मला सिंह, सांदीपनी अवार्ड खुशबू नौरिया, पारसरत्न अवार्ड हर्षा पावणस्कर, बालकधु्रव अवार्ड मंजु साहू, सन एकेडमी अवार्ड अफसाना अंसारी, आनंद अवार्ड दिनेश मेहरा, नूरहक अवार्ड मां शाइनी जार्ज, गोल्डन वर्ड अवार्ड सुधा चौरसिया, टैगोर अवार्ड संध्या जैन, मुस्कान अवार्ड आरती भावसार, महर्षि बाल्मीकि अवार्ड एससी लाल, एकलव्य अवार्ड सोनम चौकसे, स्वामी विवेकानंद अवार्ड सरिता मनवारे, आदर्श अवार्ड सुविधा धाकड़, ताज टीवीएस अवार्ड दीप्ति मालवीय, वीवी फातमा नेहा मेहतो, गुरूबक्श सिंह अवार्ड कविता कटारे, सानिध्य अवार्ड हरीश मालवीय को दिया। वर्धमान स्कूल बच्चों की आर्केस्ट्रा द्वारा मधुर गीतों की प्रस्तुति दी गई।