इटारसी। पुरूषोत्तम मास के अवसर पर नाला मोहल्ला में हरिजन छात्रावास के पास आयोजित शिवमहापुराण संगीतमय कथा समारोह के तृतीय दिवस में इन्दौर के प्रवचनकता आचार्य बृजमोहन ने उपस्थित श्रोताओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हुए कहा कि संसार रूपी मायारोग की महाऔषधि है शिवपुराण कथा। आचार्यश्री ने बताया कि यह शिवकथा तृष्णा रहित परमहंसों के द्वारा निरंतर गान की जाती है। इसी संदर्भ में ब्रम्ह का साक्षात्कार कराने वाला कठिन तप किया यद्यपि उस भूमि पर सदाशिव ने कामदेव को भस्म किया था, अथवा मुनियों के तप साधना के लिए काम रहित किया था। उसी भूमि में नारद द्वारा तप किया, काम विजय का उन्हें अभिमान हुआ परिणाम स्वरूप शिव माया से विमोहित होकर विष्णु जी के पास गए। उन्होंने सौ योजन के परिमाण का माया नगर बनाया उसमें नारद विश्वमोहिनी के मोह में फंस गए। यद्यपि भगवान विष्णु से उनका हरि रूप मांगा तो विष्णु ने बंदर को चेहरा बनाकर भेज दिया। अंत में स्वयं हरि गए। मोहिनी ने उन्हें माला पहनाई तो नारद जी क्रोधित हो गए और श्रीहरि को श्राप दिया कि आपको मनुष्य रूप लेकर स्त्री वियोग सहना पड़ेगा। जैसे ही रची हुई माया विलुप्त हुई, नारद जी लज्जित हुए और भगवान से क्षमायाचना करने लगे तब भगवान विष्णु ने उन्हें शिवजी के श्रेष्ठ यशगान करने एवं तीर्थाटन करने को कहा। नारद ने भी शिव महिमा के द्वारा अपना कल्याण किया। शिव बड़े ही दयालु देव हैं उन्होने देवदत्त नामक ब्राम्हण के पुत्र पर कृपा करके अलकापुरी का राजा कुबेर बना दिया व उसे अपना परम मित्र भी बनाया। तृतीय दिवस की कथा के शुभारंभ अवसर पर मुख्य यजवान ओमप्रकाश नागा, सामाजिक कार्यकर्ता कमलेश गौर, सुनील गौर, नितिन नागा आदि ने महाराज श्री का स्वागत किया। स्वागत कार्यक्रम का संचालन गिरीश पटेल ने किया।
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संसार में माया रोग की महाऔषधि है शिवमहापुराण
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