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सहजता, सरलता के साथ अपना बनाने की कला थी श्री दुबे में : डॉ. शर्मा

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अपने को मिली हर जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाया : काकूभाई
इटारसी। जिला हॉकी संघ के पूर्व अध्यक्ष, एक सफल प्रशासनिक अधिकारी और पत्रकार रहे सुरेश दुबे के प्रथम पुण्य स्मरण दिवस पर गुरुवार को श्री प्रेमशंकर स्मृति पत्रकार भवन में उनके शुभचिंतकों, मित्रों, हॉकी प्रेमियों, पत्रकारों और गणमान्य नागरिकों ने एकत्र होकर उनको और उनके कामों को याद किया। इस कार्यक्रम में समाज के लगभग हर वर्ग के लोगों ने उपस्थित होकर स्वर्गीय दुबे के प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये।
इस अवसर पर विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा ने कहा कि उन्होंने श्री दुबे के तीनों रूपों को देखा है। जब वे पत्रकार रहे, फिर प्रशासनिक अधिकारी और फिर जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष। तीनों ही क्षेत्र में उन्होंने अपने श्रेष्ठता साबित की थी। वे जहां भी रहे अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वे सबसे प्रेम से मिलते थे और सहज और सरल व्यक्तित्व के धनी थे। उनको मंत्री बनने पर सरताज सिंह अपने साथ भोपाल ले गये। लेकिन, वे अपने शहर में ही सेवा करना चाहते थे तो वह कुछ दिन बाद वहां से आ गये। जब वे सेवानिवृत्त हुए तो मैंने उनको विधानसभा में भी सेवा के लिए आमंत्रित किया था। परंतु उन्होंने विनम्रता से मना कर दिया था। समाज के हर वर्ग से उनका जुड़ाव था। वे अच्छे मित्र ही नहीं बल्कि मार्गदर्शक भी थे।

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पूर्व मंत्री विजय दुबे काकूभाई ने उस दौर को याद किया जब सुरेश दुबे को नवभारत ने ग्वालियर और मुंबई संस्करण प्रारंभ करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। श्री दुबे ने दोनों ही जिम्मेदारी को बखूबी निभाया था। वे सुधार न्यास में जनसंपर्क अधिकारी बने और अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा से निभाया। सीएमओ के रूप में उन्होंने विकास के बड़े-बड़े काम किये थे। उन्होंने शहर में बंद पड़ी अखिल भारतीय हॉकी प्रतियोगिता को पुनर्जीवित किया। हमें उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाये रखने के लिए बड़ी प्रतियोगिता कराने की जरूरत है। हम सभी जो भी सहयोग चाहिए, वह करेंगे। श्री दुबे के मित्र सुनील तिवारी ने बताया कि उनका श्री दुबे के साथ लंबा साथ रहा है। वे स्वाभिमान से जीना चाहते थे, हमारी लगभग रोज मुलाकात होती थी। वे पैदल ही घूमते थे। जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष के तौर पर उन पर कोई आरोप नहीं लगा, सभी उनका सम्मान करते थे।

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वरिष्ठ हॉकी खिलाड़ी एससी लाल ने कहा कि दुखद खबर जब सुनी तो विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने हॉकी के लिए बहुत कुछ किया है। शासकीय सेवा का जीवन भी उनका काफी शालीन और प्रेरणादायी रहा है। जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र तोमर ने भी श्री दुबे कार्यों को याद करते हुए कहा कि उनके बताए मार्ग पर ही चलकर हम संघ को आगे ले जाने का काम कर रहे हैं। साहित्यकार विनोद कुशवाह ने कहा कि श्री दुबे किसी भी पद पर रहे उसकी गरिमा बनाकर रखी। वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकांत अग्रवाल ने कहा कि वे सबको सम्मान से देखते थे। सहज, सरल व्यक्तित्व के धनी थे। वे प्रशासनिक अधिकारी थे, तब भी उनके भीतर का पत्रकार जिंदा था। कभी उनकी लेखनी पर वे फोन लगाकर सुझाव भी देते थे और प्रशंसा भी करते थे। जमानी से हेमंत दुबे ने कहा कि वे उनके रिश्तेदार भी थे। लेकिन, छात्र जीवन में उन्होंने लिखने के लिए प्रेरित भी किया था। कालेज जीवन में उनकी प्रेरणा से तिलकसिंदूर पर लेख लिखा था जो उस वक्त नवभारत में आधा पेज में प्रकाशित हुआ था।
सांसद प्रतिनिधि दीपक अग्रवाल ने उनको विराट व्यक्तित्व का धनी बताया और कच्ची से पक्की दुकानों के लिए उनकी निर्णय लेने की क्षमता को याद किया। पार्षद राकेश जाधव ने कहा कि कोई कितना भी गुस्सा में होता था, श्री दुबे से मिलने के बाद वह गुस्सा शांत हो जाता था। पत्रकार शिव भारद्वाज ने कहा कि श्री दुबे के व्यक्तित्व पर बात करने को शब्द और समय दोनों ही कम पड़ जाएंगे। वे सरल, सहज और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे। संचालन कर रहे जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष प्रमोद पगारे ने भी उनके साथ बिताये समय को याद किया और शहर के विकास में उनके दिये गये योगदान पर कहा कि उनके नेतृत्व में शहर में बड़े-बड़े ऐसे काम हुए जो इससे पहले कभी नहीं हुए थे।
कार्यक्रम में श्रीमती कल्पना शर्मा, श्रीमती साधना दुबे, शोभा दुबे, माया कठल, मीता चौरसिया, अर्चना तिवारी, क्षमा दुबे, रजनी दुबे, रेखा दुबे, रिचा दुबे, मीना तिवारी, पंडित नरेन्द्र दुबे, पुनीत दुबे, सुनील दुबे, राजेश दुबे के अलावा संदेश पुरोहित, संजय शिल्पी, कन्हैया गुरयानी, आलोक गिरोटिया, अशोक दुबे, राकेश पांडेय, जसबीर सिंघ छाबड़ा, हरप्रीत छाबड़ा, बाबा तिवारी, अजय दुबे सहित अनेक गणमान्यजन मौजूद थे।

पुरस्कार की घोषणा
स्वर्गीय सुरेश दुबे की स्मृति में उनके परिवार ने प्रतिवर्ष एक खिलाड़ी को पांच हजार रुपए का पुरस्कार देने की घोषणा की है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस खिलाड़ी को दिया जाएगा जिसके नाम को जिला हॉकी संघ अनुसंशित करेगा। यह पुरस्कार श्री दुबे के परिजनों ने स्थापित किया है और उनके मित्र और अन्य साथी भी इसमें राशि बढ़ा सकते हैं।

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