- श्री राम जन्म महोत्सव अंतर्गत संगीतमय श्री राम कथा का पंचम दिवस
इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक में श्री राम जन्म महोत्सव समिति के तत्वावधान में 62वे वर्ष में आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव में चित्रकूट से पधारे महेंद्र मिश्र मानस मणि महाराज ने कथा प्रसंग को विस्तार देते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम लक्ष्मण जी और माता सीता वन गमन के दौरान ऋषिमुख पर्वत के समीप पहुंचे। सुग्रीव को आशंका हुई यह कहीं बालि के द्वारा भेजे गए दूत ना हों। हनुमान जी ब्राह्मण का वेष बनाकर राजकुमारों के पास पहुंचे और उन्हें देखकर हनुमान जी ने कहा कि आप बीहड़ जंगलों में नंगे पांव चल रहे हैं, साधारण व्यक्ति नहीं हो सकते। जरूर आप ईश्वर का अवतार हैं।
प्रभु श्रीराम ने हनुमंत लाल से कहा कि हम महाराजा दशरथ अयोध्या के पुत्र हैं और पिता की आज्ञा मानकर वन में आए हैं। हनुमान जी ने सभी तरह से संतुष्ट होने के बाद वानर राज सुग्रीव से राम जी का परिचय कराया। सुग्रीव ने अपनी सारी व्यथा बताई कि किस तरह उसका बड़ा भाई बालि उसे परेशान कर रहा है, जिसके कारण छुपकर वे यहां पर हैं। योजना के अनुसार प्रभु श्री राम ने बालि का वध किया सुग्रीव से मित्रता की, जो अंतत: रावण वध के परिणाम तक पहुंची। आचार्य मानस मणि ने कहा कि बालि के वध के बाद उसकी पत्नी तारा बहुत विकल हुई, तब प्रभु श्री राम ने उसको जीवन और मरण की सही बात बताई जो तारा ने स्वीकार की। रावण की लंका को बर्बाद करने और रावण के सर्वनाश के लिए सुग्रीव और उनके साथ हनुमान बड़े योद्धा के रूप में मिले और प्रभु श्री राम इस बात के लिए आश्वस्त हो गए की वानरों की मदद से वह लंका विजय कर लेंगे।
उन्होंने कहा कि जामवंत से सलाह लेकर सुग्रीव ने हनुमान जी को लंका जाकर सीता माता का पता लगाने भेजा। प्रभु का नाम लेकर हनुमान जी तेज गति से वायु मार्ग से लंका के लिए रवाना हुए रास्ते में जो भी आये, हनुमान जी ने उनका नाश किया और लंका की ओर प्रस्थान किया। कथाव्यास मानस मणि ने कहा कि हनुमान जी ने अशोक वाटिका में पहुंचकर माता सीता को प्रभु श्रीराम द्वारा दी गई मुद्रिका दी। माता सीता ने अपना चूड़ामणि हनुमान जी को दिया। माता सीता की आज्ञा पाकर उन्होंने फल खाने अशोक वाटिका के आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण किया और पूरे फलों से लदे बगीचे नष्ट कर दिये।
हनुमान जी ने अक्षय कुमार का वध किया। मेघनाथ उन्हें नागपाश में बांध कर रावण की सभा में ले गया। हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई गई। परिणाम यह हुआ कि केवल विभीषण का घर छोड़ कर हनुमान जी ने सोने की लंका में आग लगा दी। कथाव्यास ने हनुमान जी की कथा विस्तार से बताई। समिति के प्रवक्ता भूपेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर की इस भव्य रामकथा में बड़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों के महिला पुरुष श्रोता आ रहे हैं। समिति के द्वारा सभी की व्यवस्था की जा रही है।
गुरुवार को कथा व्यास के पूजन और स्वागत के लिए चिकित्सक डॉ. अचलेश्वर दयाल, डॉ. सुनील देवानी, डॉ. अनिकेत सिंह, डॉ. विनय गंगवानी, डॉ. दीपक जैसवानी, डॉ. रवि टिकरिया, डॉ. कोकिला अग्रवाल, सभापति राकेश जाधव, मनजीत कलोसिया, हरप्रीत छाबड़ा, पार्षद कुंदन गौर, नारायण ठाकुर सहित राजपूत समाज करणी सेना, क्षत्रिय ताम्रकार समाज, कल्चुरी समाज, सोनी समाज, कुर्मी गौर समाज सहित आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ नीरज जैन, कार्यकारी अध्यक्ष विपिन चांडक, सचिव अभिषेक तिवारी, उपाध्यक्ष विष्णु शंकर पांडेय, पंकज राठौर, कोषाध्यक्ष प्रकाश मिश्रा, सह कोषाध्यक्ष अमित सेठ सहित बड़ी संख्या में अतिथि उपस्थित रहे।