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होली पर शांति और नरवाई से खेतों को बचाने की पहल

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इटारसी। आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर की एक महत्वपूर्ण बैठक में होली, धुलेंडी, रंग पंचमी एवं खेत की गेहूं की नरवाई एवं महुआ के पेड़ के नीचे पत्ते नहीं जलाने पर चर्चा की गई। तिलक सिंदूर समिति ने 210 गांव समिति बनाकर लोगों को आमंत्रित कर निर्देश दिए हैं कि एक छोटी सी चिंगारी बारूद बन सकती है, इसलिए समझाईश दी गई है कि किसी को भी नरवाई एवं जंगल में आग नहीं लगाना है।
बैठक में बताया है कि गांव के लोग महुआ बीनने जाते जंगल में पेड़ के नीचे आग जलाकर आ जाते हैं जिससे छोटे-छोटे वृक्ष को नुकसान होता। यह पूरे जंगल में फैल जाती है। मीडिया प्रभारी विनोद बारीवा ने बताया कि यह अभियान वन विभाग द्वारा भी चलाया जाना चाहिए, सभी गांव में बीट गार्ड तैनात हैं। वन विभाग के लोग गांव के लोगों को समझाइश दें। समिति के संरक्षक सुरेंद्र कुमार धुर्वे ने कहा कि सभी किसानों के पास दवाई डालने वाले स्प्रे पंप होते हैं, उन्हें सुधार कर एवं पानी भर कर रखना चाहिए, पंचायत द्वारा दिए पानी के टैंकर चालू हालत में पानी से भरे हुए रहना चाहिए, गांव के सरपंचों से निवेदन किया है कि बिगड़े हुए टैंकरों को तत्काल सुधारवायें, बिजली के तार हवा चलने से एक दूसरे टकराने से भी आगे लग जाती है, झूलते तार भी ठीक होना चाहिए। इटारसी से फायर ब्रिगेड की गाड़ी आने से 30 मिनट से एक घंटा लग जाता है। लगभग 1 या 2 गाड़ी होगी। इतना संभव नहीं है कि हर जगह वह गाड़ी ठीक समय पर पहुंचे। एक ही जगह की आग ठीक से बुझ नहीं पाती, दूसरी जगह तैयार हो जाती है, इसलिए समिति के लोगों ने सभी से निवेदन किया है किसी भी प्रकार से ऐसी हानि ना हो। यदि अज्ञात कारण से लग भी जाती है, तो एक गांव के व्यक्ति दूसरे गांव में भी जा सकते हैं। ऐसा कोई भी नहीं समझें कि हमारे गांव में नहीं लगी है, हम वहां पर नहीं जाएं।
बैठक में कहा है कि होली रंग पंचमी शांतिपूर्वक मनाए, किसी भी प्रकार के लड़ाई झगड़े ना करें। इस अवसर पर समिति संरक्षक सुरेंद्र कुमार धुर्वे, अध्यक्ष बलदेव तेकाम, मन्नालाल दादा, सचिव जीतेंद्र इवने, श्यामलाल बारीवा, जगदीश ककोडिय़ा लोधड़ी, अवधराम कुमरे जमानी, ताराचंद बट्टी तीखड़, अशोक इवने दौड़ी झुनकर, चंदन उईके अंधियारी, गजराज सरेआम तरौंदा, गुलाब बाई, बसंती बाई, अमाड़ा मोतीलाल बाबई, लक्ष्मीनारायण लालवानी, शिवराम आहके बांदरी, राजू मालनी, विजय सिंह सल्लाम धाई सोंठिया, रामस्वरूप मातापुरा सहित समिति के अनेक सदस्य मौजूद थे।

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