- अखिलेश शुक्ला-
भारतीय सिनेमा में ऐसे कई सितारे हुए हैं जिन्होंने अपनी अदायगी और अंदाज से दर्शकों का दिल जीता। लेकिन अगर बात अनोखी पर्सनालिटी की हो, तो राज कुमार का नाम सबसे ऊपर आता है। उनकी डायलॉग डिलीवरी, बोलने का अंदाज, और रॉयल लाइफस्टाइल ने उन्हें एक लीजेंडरी एक्टर बना दिया था। उनके बारे में जितना सुना जाए, उतना ही कम लगता है। हम आपको बताएंगे अभिनेता राज कुमार से जुड़े तीन ऐसे मशहूर किस्से, जो उनकी अनोखी शख्सियत को दर्शाते हैं।
राज कुमार का नाम सुनते ही रजनीकांत ने ठुकराई फिल्म ‘तिरंगा’
राज कुमार के साथ काम करना आसान नहीं था। उनकी बेबाकी और बेधड़क स्वभाव के किस्से इंडस्ट्री में मशहूर थे। ‘तिरंगा’ फिल्म से जुड़ा एक किस्सा इस बात को बखूबी साबित करता है।
डायरेक्टर मेहुल कुमार ने इस फिल्म के लिए शुरुआत में मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को अप्रोच किया। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद रजनीकांत को स्क्रिप्ट भेजी गई। रजनीकांत को किरदार और कहानी बहुत पसंद आई, लेकिन उन्होंने एक सवाल पूछ लिया – “राज कुमार के साथ कैसे काम कर पाऊंगा?”दरअसल, रजनीकांत को डर था कि अगर राज कुमार को कुछ पसंद नहीं आया, तो सेट पर उनका गुस्सा फूट सकता है। इसी असमंजस के चलते उन्होंने फिल्म करने से मना कर दिया। बाद में यह रोल नाना पाटेकर को मिला। नाना पाटेकर भी काफी सोच-विचार के बाद राज कुमार के साथ काम करने को तैयार हुए।
राज कुमार की पर्सनालिटी इतनी दमदार थी कि बड़े-बड़े स्टार्स भी उनके सामने घबरा जाते थे। यही वजह है कि उनका नाम सुनते ही कई एक्टर्स फिल्म छोड़ देते थे।
गोविंदा की शर्ट को बना दिया रुमाल
यह किस्सा न केवल मजेदार है, बल्कि राज कुमार की सोच और स्टाइल को भी दर्शाता है। बात 1989 की है जब गोविंदा और राज कुमार फिल्म ‘जंगबाज’ की शूटिंग कर रहे थे। एक दिन गोविंदा एक शानदार डिजाइनर शर्ट पहनकर सेट पर पहुंचे। राज कुमार को वह शर्ट इतनी पसंद आई कि उन्होंने तुरंत उसकी तारीफ की। गोविंदा ने बड़े अदब से वह शर्ट उन्हें गिफ्ट कर दी। उन्हें लगा कि अब वह राज कुमार को उस शर्ट में देखेंगे। लेकिन कुछ दिनों बाद जब सेट पर राज कुमार उसी शर्ट का बना रुमाल गले में बांधे हुए आए, तो गोविंदा की आंखें खुली की खुली रह गईं। उन्होंने उस महंगी शर्ट को काटकर रुमाल बना लिया था।
यह किस्सा राज कुमार की अलग सोच, अंदाज और उनके युनिक स्टाइल को दर्शाता है। उनके लिए चीजों का इस्तेमाल उनके अपने तरीके से मायने रखता था, भले ही वह आम नजरों में कितना भी अजीब क्यों न लगे।
फिरोज खान से हुई टक्कर – “आप अपना काम कीजिए”
फिल्म ‘ऊंचे लोग’ (1965) के सेट पर भी राज कुमार की अलग ही छवि सामने आई थी। इस फिल्म में वह फिरोज खान के साथ काम कर रहे थे। एक इंटरव्यू में फिरोज खान ने बताया कि राज कुमार सेट पर उन्हें बार-बार डायलॉग डिलीवरी सिखाने की कोशिश करते थे।
फिरोज खान को यह बात पसंद नहीं आई। उन्होंने एक दिन साफ शब्दों में राज कुमार से कह दिया –
“राज जी, आप अपना काम कीजिए। मैं अपना काम करूंगा।”
यह बात सुनकर राज कुमार थोड़े हैरान जरूर हुए, लेकिन फिरोज की यह स्पष्टता उन्हें पसंद आ गई।
राज कुमार अपने सीनियर होने का रौब झाड़ते नहीं थे, लेकिन अगर कोई उन्हें टक्कर दे, तो वह भी उसकी इज्जत करते थे।
राजकुमार के डायलॉग
- “जानी, ये चाकू है… लग जाए तो खून निकल आता है!”
फिल्म: वक्त (1965 ) - “हम आंखों से सुरमा नहीं चुराते… हम आंखें ही चुरा लेते हैं।”
फिल्म: मरते दम तक (1987) - “मेरे देश की मिट्टी में जादू है, जानी… ये दुश्मन को भी अपना बना लेती है!”
मूवी तिरंगा (1993)
राजकुमार के अंतिम दिन
राज कुमार का निधन 3 जुलाई 1996 को गले के कैंसर के कारण हुआ। वे 69 वर्ष के थे। फिल्मों में आकर उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। उनका अनोखापन आज भी दूसरों से अलग एक्टर बनाता है।
निष्कर्ष
राज कुमार केवल एक अभिनेता नहीं थे, वे एक स्टाइल आइकन, एक विचारधारा और एक मेमोरी मशीन थे। उनके किस्से, उनके डायलॉग्स और उनका लिविंग स्टाइल आज भी लोगों को प्रेरित करता है। वो कहते थे –
“हम वो हैं जो अक्सर खामोशी से इतिहास रचते हैं।”
और वाकई में, उन्होंने वही किया।

अखिलेश शुक्ल
सेवा निवृत्त प्राचार्य, लेखक, ब्लॉगर
अखिलेश शुक्ल
इ-समीक्षक, लेखक व साहित्यकार
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