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शादी-विवाह में अब वर-वधु पक्ष के 20-20 व्यक्ति सम्मिलित हो सकेंगे

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प्रदेश में संवेदनशील सरकार है कोई भी मजबूर या बेबस नहीं रहेगा

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि अब शादी-विवाह में वर-वधु पक्ष के 20-20 व्यक्ति सम्मिलित हो सकेंगे। सम्मिलित हो रहे सभी व्यक्तियों का कोरोना टेस्ट अनिवार्य होगा। क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियों से प्राप्त सुझावों के आधार पर 15 जून तक नई गाइड लाइन जारी की जायेगी। कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के साथ-साथ सभी अनाथ बच्चों के जीवन-यापन, आहार, शिक्षा और उनके आसरे की व्यवस्था सरकार और समाज द्वारा की जायेगी। हमारी सरकार संवेदना की सरकार है। किसी को भी मजबूर और बेबस नहीं रहने दिया जायेगा। कोरोना काल में बेसहारा हो गये परिवारों के संबंध में संवेदनशीलता के साथ निर्णय लिया जायेगा। जिन व्यक्तियों की कोरोना से मृत्यु हुई है, उनके प्रमाण पत्र के संबंध में भी राज्य सरकार निर्णय लेगी। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि विधायकगण अब विधायक निधि से 50 प्रतिशत तक का उपयोग जरूरतमंदों की मदद के लिए कर सकेंगे। कोरोना के प्रभाव को दृष्टिगत रखकर राज्य सरकार इस प्रकार की व्यवस्था कर रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान जिलों की क्राइसिस मेनेजमेन्ट कमेटी के सदस्यों को निवास से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान, पुलिस महानिदेशक श्री विवेक जौहरी और आयुक्त स्वास्थ्य श्री आकाश त्रिपाठी उपस्थित थे। बैठक में कोरोना संक्रमण की प्रदेश में वर्तमान स्थिति और तीसरी लहर की संभावनाओं की स्थिति पर प्रस्तुतीकरण दिया गया। जिला स्तरीय समिति के सदस्यों ने कोरोना संक्रमण नियंत्रण के संबंध में सुझाव भी दिए।

राजनैतिक, सामाजिक गतिविधियाँ, जुलूस-जलसे प्रतिबंधित रहेंगे
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमण का संकट अभी गया नहीं है। तीसरी लहर की संभावना है। सावधानी और सतर्कता की आवश्यकता है। राजनैतिक, सामाजिक गतिविधियाँ, जुलूस-जलसे, भीड़ वाली गतिविधियाँ प्रतिबंधित रहेंगी। स्कूल-कॉलेज,खेलकूद, स्टेडियम में कार्यक्रम आदि पर भी प्रतिबंध रहेगा।

प्रभावी रहा जन-भागीदारी मॉडल
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में जन-भागीदारी मॉडल के प्रभावी क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप कोरोना संक्रमण नियंत्रण में है। हमें तीसरी लहर को रोकने के लिए लगातार सक्रियता बनाए रखना होगी। अमेरिका, इंग्लैंड और सिंगापुर के अनुभव यही बताते हैं कि जहाँ कोरोना अनुरूप व्यवहार का पालन गंभीरता से हुआ, वहाँ संक्रमण पुन: नहीं फैला। लेकिन जहाँ व्यवहार सामान्य रहा और लापरवाही बढ़ी वहाँ संक्रमण पुन: फैलना आरंभ हो गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने समिति सदस्यों से कोरोना संक्रमण नियंत्रण, बाजार और व्यापारिक गतिविधियों को खोलने और टीकाकरण के संबंध में सुझाव भी माँगे।

क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियों ने टीम के रूप में कार्य किया
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में संक्रमण नियंत्रण में है। ग्राम, वार्ड, नगर और जिला स्तर पर क्राइसिस मेनेजमेन्ट कमेटियों द्वारा संभाले गए दायित्व, परिश्रम और सहयोग के कारण ही कोरोना पर नियंत्रण पाया जा सका है। अब स्थिति सुखद है। आज केवल 274 केस आए हैं। बीस जिलों में एक भी प्रकरण नहीं है। केवल भोपाल, इंदौर और जबलपुर में प्रकरण दो डिजिट में हैं। पॉजिटिविटी रेट 0.3% पर पहुँच गयी है। यह सब सांसद, विधायक, जन-प्रतिनधियों, स्वयं-सेवी संस्थाओं, शासकीय कर्मचारियों के परिश्रम और जन-सहयोग से संभव हो पाया है। यह मानव सेवा का उत्तम उदाहरण है। तीसरी लहर की चेतावनी सामने है और ब्लैक फंगस की चुनौती बनी हुई है। अभी क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियों का काम समाप्त नहीं हुआ है। इन कमेटियों ने ग्राम, वार्ड, जिला और नगर स्तर पर बेहतर टीम के रूप में कार्य किया है। अभी आगे भी इन्हें जिम्मेदारी संभालनी है।

प्रतिदिन 80 हजार टेस्ट जारी रहेंगे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा कि इंग्लेंड में 90 दिन लॉकडाउन के बाद अनलॉक के साथ ही कोरोना के प्रकरण बढ़ने लगे हैं। इस स्थिति में कोरोना की लहर को रोकने और उसकी तीव्रता को कम करने की व्यवस्था आवश्यक है। अत: प्रदेश में 80 हजार टेस्ट प्रतिदिन होंगे। हमारा प्रयास होगा कि जिले के हर भाग में टेस्ट हो। टेस्ट में पॉजिटिव आने पर प्रत्येक की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कराई जाएगी। जो व्यक्ति पॉजिटिव आया है उसे होम आयसोलेशन में या कोविड केयर सेंटर में रखा जाएगा। प्रदेश में किल-कोरोना अभियान जारी रहेगा। सर्दी, खांसी, जुकाम के प्रकरण मिलते ही इलाज आरंभ किया जाएगा।

क्षेत्रीय भाषाओं में संदेश और नवाचार से करें टीकाकरण के लिए प्रेरित
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा टीकाकरण का दायित्व लेने के लिए उनका आभार मानते हुए कहा कि टीकाकरण के लिए जन-सामान्य को प्रेरित करने के उद्देश्य से ग्राम और वार्ड स्तर पर जन-जागरण अभियान चलाया जाए। क्षेत्रीय भाषाओं में संदेश, स्लोगन आदि के उपयोग के साथ-साथ अन्य नवाचार भी किए जाएँ।

जन-हितैषी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी कमेटियाँ निभाएँ जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना, मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना, मुख्यमंत्री कोविड योद्धा कल्याण योजना, मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना, मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुकम्पा नियुक्ति योजना जैसी जन-हितैषी योजनाएँ लागू की गई हैं। क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियाँ जिला स्तर पर इन योजनाओं का पूरी संवेदनशीलता और सक्रियता से क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।

स्वस्थ रहने का आधार है योग
मुख्यमंत्री श्री चौहान कहा कि योग से निरोग कार्यक्रम का विस्तार ग्राम और वार्ड स्तर पर किया जाना है। जन-जन को प्रेरित कर योग को स्वस्थ रहने के आधार के रूप में स्थापित करना होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में अधिक से अधिक लोगों से भाग लेने की अपील की।

प्रत्येक गाँव में होंगे दो स्वास्थ्य सहायक
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रत्येक गाँव में एक महिला एवं एक पुरूष को और प्रत्येक विकासखंड स्तर पर तीन व्यक्तियों को स्वास्थ्य जागरूकता पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। ये स्वास्थ्य सहायक ग्राम स्तर पर कोरोना से बचाव के लिए जागरूकता पर काम करेंगे। तीसरी लहर को देखते हुए अस्पतालों और ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था, दवाओं और अन्य आवश्यक सामग्री की आपूर्ति के लिए राज्य शासन प्रतिबद्ध है।

मध्यप्रदेश अब देश में 26वें नंबर पर
क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियों से संवाद के इस कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान ने कोरोना के परिदृश्य पर प्रस्तुतीकरण दिया। जानकारी दी गई कि प्रदेश में आज मात्र 274 कोरोना प्रकरण आए हैं। प्रदेश और देश में कोरोना के प्रकरणों में लगातार कमी आ रही है। मध्यप्रदेश अब पूरे देश में 26वें नंबर पर है। त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम जैसे छोटे राज्यों में भी मध्यप्रदेश से अधिक प्रकरण हैं।

प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि मार्च 2020 में देश को कोरोना संक्रमण प्रभावित करने लगा था। बचाव के लिए लॉकडाउन किया गया। अनलॉक के 109 दिन बाद पहली लहर का पीक आया जिसमें 16 सितम्बर को एक दिन में देश में 97 हजार 860 केस रजिस्टर किए गए। इसके बाद केस कम हुए, परंतु चार माह बाद पुन: केस बढ़ने लगे और दूसरी लहर का पीक 6 मई को आया, जब एक दिन में 4 लाख 14 हजार 280 केस रजिस्टर किए गए।

इंग्लेंड, अमेरिका और सिंगापुर की स्थिति का हुआ प्रस्तुतीकरण
प्रस्तुतीकरण में अमेरिका, इंग्लेंड और यूरोप के अन्य देशों की स्थिति को भी दर्शाया गया। जहाँ अनलॉक और जीवन एवं व्यवहार सामान्य होने के साथ ही प्रकरण पुन: बढ़ने लगे हैं। साथ ही सिंगापुर का आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत किया गया, जहाँ कोविड अनुरूप व्यवहार का कड़ाई से पालन करने के परिणामस्वरूप स्थिति लगातार नियंत्रण में है और प्रतिदिन आने वाले प्रकरणों की संख्या 100 से कम है। अत: कोरोना संक्रमण नियंत्रण के लिए कोविड अनुकूल व्यवहार आवश्यक है।

18 जिलों में कोई प्रकरण नहीं
प्रस्तुतीकरण में बताया गया कि प्रदेश में ग्रोथ रेट अब 0.1% है। रिकवरी रेट 98.3% पहुँच गया है। सात दिन की औसत पॉजिटिविटी दर नियंत्रण में है। प्रदेश के 18 जिलों में अब कोई प्रकरण नहीं है। 31 जिले ऐसे हैं, जिनमें प्रत्येक जिले में प्रकरण 10 से कम है। तीन जिलों में ही आँकड़ा दहाई में है। भोपाल में 88, इंदौर में 82 और जबलपुर में 18 प्रकरण हैं।

जिला क्राइसिस कमेटियों से संवाद में निम्नलिखित सुझाव प्राप्त हुए :
अर्धघुमक्कड़ समाज के लोगों को टीकाकरण में प्राथमिकता दी जाए।
अनलॉक के बाद व्यापारियों और कर्मचारियों को 18 दिन के अंदर टीकाकरण अनिवार्य किया जाए।
शादी में सम्मिलित होने वाले परिजनों की संख्या बढ़ाई जाए। प्रत्येक व्यक्ति का टीकाकरण और टेस्टिंग अनिवार्य हो।
जिलों को टीके उपलब्ध होने की सूचना कम से कम चार दिन पहले दी जाए।
त्यौहारों की गाइड लाइन राज्य स्तर से जारी हो।
डिंडौरी द्वारा मांग की गई कि छत्तीसगढ़ अंतर्राज्यीय बस सेवा को अस्थाई रूप से स्थगित किया जाए।
साप्ताहिक हाट बजार बंद रहें।
50 प्रतिशत क्षमता के साथ होटलों का संचालन आरंभ किया जाए।
वरिष्ठजनों की सुविधा के लिए ड्राइव इन टीकाकरण की व्यवस्था की जाए।
भीड़ नियंत्रण के लिए बाजारों का समय शाम 5 बजे तक निश्चित किया जाए।
मॉल को टोकन सिस्टम के साथ आरंभ किया जाए।
शादी-विवाह के आयोजन दिन के समय में हो।
तीसरी लहर को देखते हुए पैरामेडिकल स्टाफ को बच्चों के टीकाकरण और इलाज के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाए।
मृत्यु भोज पर नियंत्रण हो।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भीड़ नियंत्रण के लिए कड़ाई से कार्रवाई हो।
शासकीय और अशासकीय अस्पतालों में बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया जाए।

 

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