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भगतसिंह को मिले शहीद का दर्जा – विनोद कुशवाहा

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भगतसिंह (Bhagat Singh) की शहादत को कौन भूल सकता है। भले ही गांधी (Ghandhi) से उनके लाख वैचारिक मतभेद रहे हों या गांधी, नेहरू ने उनके लिये कुछ न किया हो बावजूद इसके देश को आजाद कराने वालों में भगत सिंह (Bhagat Singh) का नाम सर्वोपरि है। उनका रास्ता अलग हो सकता है लेकिन गांधी के बाद यदि अंग्रेज किसी से डरते थे तो वे भगतसिंह (Bhagat Singh) ही थे।

सनद रहे कि इसी ख़ौफ के चलते 1931 में ब्रिटिश हुकूमत ने भगतसिंह (Bhagat Singh) को फांसी पर लटका दिया था। अफसोस कि आजादी के 75 साल पश्चात भी भगतसिंह (Bhagat Singh) को शहीद का दर्जा नहीं मिल सका है। इधर पुलिस (police) या सेना (Army) का कोई जवान ट्रक दुर्घटना में भी यदि मारा जाता है तो तत्काल उनको शहीद मान लिया जाता है। उनके परिवार को लाखों रुपये की आर्थिक सहायता तुरन्त दे दी जाती है। अन्य रियायतें अलग।

मुझे इस पर न तो कोई आपत्ति नहीं है न ही कोई एतराज। ये उनका हक है। मगर साथ ही मेरी ये भी इल्तिजा है कि भगतसिंह (Bhagat Singh) और उनके साथियों राजगुरु (Rajguru) और सुखदेव (Sukhdev) को भी फौरन शहीद का दर्जा दिया जाए। इसी में आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) की सार्थकता है।

उल्लेखनीय है कि केन्द्र (Central) व पंजाब सरकार (Punjab Government) द्वारा भगतसिंह (Bhagat Singh) को शहीद का दर्जा दिये जाने की मांग संबंधी जनहित याचिका पंजाब-हरियाणा (Punjab- Haryana) हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस रविशंकर झा (Chief Justice Ravi Shankar Jha) तथा जस्टिस अरुण पल्ली (Justice Arun Palli) की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि याचिका कर्ता ने ऐसा कोई कानून या रिकार्ड पेश नहीं किया जिसके आधार पर इस पर फैसला लिया जा सके। ऐसे में उनके पास इस याचिका को खारिज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

ज्ञातव्य है कि इसके पहले भी सोनीपत के वकील बिजेंद्र सागवान (Advocate Bijendra Sagwan) ने इस मामले को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में एक याचिका दायर की थी। उसे भी माननीय न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ता से पूछा गया कि क्या कानून में ऐसा कोई प्रावधान है जिसके तहत कोर्ट को ये निर्देश देने का अधिकार दिया गया हो।

याचिकाकर्ता के पास इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं था। मेरा निवेदन यही है कि अब की बार केन्द्र (Central) एवं पंजाब सरकार (Punjab Government) पूरी तैयारी के साथ न्यायालय में जायें ताकि भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु को शहीद का दर्जा दिया जा सके। क्या स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी आजादी के इन लड़ाकों को इतना भी कानूनी अधिकार नहीं है कि उनको सम्मान शहीद का दर्जा दिया जा सके ?

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