परिवार की सुख शांति के लिए महिलाओं ने मनाया बच्छ बारस उत्सव

Post by: Rohit Nage

Women celebrated Bachch Baras festival for the happiness and peace of the family.

सिवनी मालवा। महिलाओं ने परिवार की खुशहाली, सुख शांति के लिए बच्छ बारस उत्सव संपत सारडा (Sampat Sarda) के निवास पर मनाया। यह उत्सव भादो की बछ बारस के दिन मनाया जाता है। सभी महिलाओं ने गाय और बछड़े की पूजा की। इस दिन भैंस के गोबर का ओबड़ा बनाया जाता है, उसमें पानी भरकर तालाब की पूजा की जाती है।

पूजा कर हंसराज (Hansraj) बंसराज (Bansraj) की कहानी कहती हैं। हंसराज बंसराज आओ लड्डू उठाओ, लडक़े गोबर के ओबड़ा को अंगुली से चीरा लगाकर लड्डू उठाते हैं। मां, बहन, भाभी सब टीका लगाती हैं। गौ माता सुरक्षित रहे, गाय की पूजा करके परिक्रमा लगाई जाती है एवं भजन कीर्तन गाए जाते हैं। बेटों की मां बच्चों की लंबी उम्र, परिवार के सुख शांति एवं पति की लंबी उम्र के लिए ओबड़े की पूजा करती हैं। महिलाएं एक दूसरे को बिंदी लगाती हैं।

आज के दिन महिलाएं गेहूं और चावल नहीं खाती एवं धार वाली चीज का उपयोग नहीं करती हैं, आज के दिन ज्वार, बाजरा, बेसन, मक्का, खाया जाता है। शाम को गाय आने के पहले सभी महिलाएं भोजन कर लेती हैं। सास, ननद, भांजियों को पैर छू कर कल्पना दी जाती है। आज के दिन यह संदेश लेते हैं कि हम गौ माता की रक्षा करेंगे और उनका ध्यान रखेंगे। महिलाओं द्वारा बच्छ बारस के उजिने भी किये जाते हैं।

इस अवसर पर नीरू राठी, शीला सारडा, शीला खडलोया, सुनीता सारडा, अनुपमा तोषनीवाल, सुनीता तोषनीवाल, पुनीता सारडा, मोहिनी, नितिका सारडा, ऊषा, वर्षा सारडा, प्रियंका सारडा, पुनीता सारडा, शिवांगी सारडा, खूशबू सारडा, स्वाति माहेश्वरी, प्रीति माहेश्वरी, पूजा खडलोया, श्वेता साबू, मोना पावरी, सविता पावरी, जया खंडेलवाल, मोनिका, गीता, अंजू, ममता, रेखा, सोनाली, नीतू, अंकिता सहित महिलाएं उपस्थित थीं।

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