भोपालः राष्ट्रीय उद्यान वन विहार में सफेद बाघिन रिद्धि की मौत, दो दिन से नहीं खा रही थी खाना

Rohit Nage

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Bhopal: White tigress Riddhi died in National Park Van Vihar, was not eating food for two days.

भोपाल, 19 सितंबर (हि.स.)। राजधानी भोपाल (Capital Bhopal) के राष्ट्रीय उद्यान वन विहार-जू (National Park Van Vihar Zoo) की एकमात्र सफेद बाघिन (White Tigress) अब नहीं रही। बताया जा रहा कि पिछले कुछ समय से उसकी तबीयत ठीक नहीं थी और व दो दिन से खाना नहीं खा रही थी। गुरुवार को उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। सफेद बाघिन रिद्धि (Riddhi) की उम्र 15 साल थी।

जानकारी के अनुसार, चार साल की उम्र में रिद्धि को इंदौर (Indore) के जू से वन विहार में 28 दिसंबर 2013 में लाया गया था। तब से वह वन विहार में टूरिस्ट्स के लिए आकर्षण का केंद्र थीं। टूरिस्ट खासतौर पर सफेद बाघिन को देखने आते थे। वन विहार में उसे डिस्प्ले वार्ड में रखा गया था। वह इंदौर जू से आदान-प्रदान योजना के तहत वन विहार में लाई गई थी।

बताया गया कि सफेद बाघिन रिद्धि की 18-19 सितंबर की रात में मौत हुई। गुरुवार सुबह वह अपने हाउस में बेहोश पड़ी मिली। वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता (Dr. Atul Gupta) ने जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया गया। इससे पहले बुधवार को वह अपने हाउसिंग में सामान्य हालत में ही थी। वन विहार प्रबंधन के अनुसार, पिछले दो दिन से रिद्धी ने अपना नियमित भोजन नहीं लिया था। हालांकि, ऐसा वह सामान्य रूप से अक्सर करती रही है।

बाघिन का पोस्टमार्टम वन विहार के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. अतुल गुप्ता, सहायक वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. हमजा नदीम फारूखी, वाइल्ड लाइफ एसओएस डॉ. रजत कुलकर्णी ने संयुक्त रूप से किया। मृत्यु का कारण वृद्धावस्था के कारण अंदरूनी अंगों का काम न करना पाया गया। मृत सफेद बाघिन का सैंपल जुटाकर परीक्षण के लिए स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक हेल्थ जबलपुर भेजे गए हैं। पोस्टमार्टम के बाद मृत बाघिन का नियमानुसार वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में वन संरक्षक भोपाल वृत भोपाल, संचालक वन विहार एव अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की उपस्थिति में दाह संस्कार किया गया।

वन विहार के डिप्टी डायरेक्टर एसके सिन्हा ने बताया कि वन विहार में अब 15 बाघ बचे हैं। अमूमन जंगल में रहने वाले एक स्वस्थ्य बाघ की उम्र 12 से 13 साल तक रहती है। जू में उनकी उम्र 15-16 साल तक होती है। ऐसे में रिद्धि अच्छी जी ली। हालांकि, सफेद बाघ ज्यादा स्वस्थ्य नहीं होते हैं। जीन में परिवर्तन की वजह से यह सफेद होते हैं।

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