दशरथ मरण और भरत मिलाप की रामलीला देख नम हुईं दर्शकों की आंखें

Post by: Rohit Nage

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  • नगर पालिका परिषद द्वारा गांधी मैदान और वीर सावरकर मैदान में रामलीला का आयोजन

इटारसी। वृंदावन के श्री बालकृष्ण लीला संस्थान के कलाकारों ने आज दशरथ मरण, भरत मिलाप, केवट-राम संवाद, भगवान के चित्रकूट विश्राम, ऋषियों से मिलन और फिर पंचवटी विश्राम की लीला का मंचन किया। नगर पालिका परिषद द्वारा गांधी मैदान और पुरानी इटारसी के वीर सावरकर मैदान में रामलीला का आयोजन कराया जा रहा है। यहां श्री जगदंबा मंडल मैहर के कलाकारों द्वारा आज भगवान श्रीराम को वनवास, केवट संवाद, चित्रकूट निवास, सीताजी को अनुसुईया जी का उपदेश और पंचवटी निवासी की लीला की गई।

गांधी मैदान में आज रामलीला के अन्य प्रसंगों में पुत्र मोह के कारण राजा दशरथ का शरीर त्यागना, भरत जी का रामजी को मनाने के लिए चित्रकूट जाना और प्रभु श्री राम का भरत को चरण पादुका देकर वापस भेजने के भावात्मक मंचन ने लोगों को भावुक कर दिया। वनवास के समय भगवान राम, लक्ष्मण और सीता जी सरयू किनारे जाते हैं और वहां केवट से अपनी नाव में बिठाकर सरयू पार कराने को कहते हैं। इस दौरान केवट और श्रीराम के मध्य संवाद होता है। इसके बाद श्रीराम लक्ष्मण और सीता सरयू पार करके चित्रकूट पहुंच जाते हैं।

अयोध्या में श्रीराम के वियोग में महाराजा दशरथ अपने प्राण त्याग देते हैं, जब भरत और शत्रुघ्न को राम के वनगमन और दशरथ की मृत्यु का समाचार मिलता है तो वे वापस अयोध्या आते हैं और कैकई को भला-बुरा कहते हैं। तीनों माताओं के साथ गुरु वशिष्ट, मंत्री सुमंत और शत्रुघ्न के साथ चित्रकूट की ओर प्रस्थान करते हैं, जहां भरत से श्रीराम का मिलाप होता है। मनाने के बाद भी श्रीराम के नहीं लौटने पर भरत श्रीराम के खड़ाऊ सिर पर धारण कर अयोध्या वापस लौट जाते हैं।

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