- भारतीय किसान संघ ने की पुलिस कार्रवाई की निंदा
- डीएपी लेने के लिए घंटों लाइन में खड़े होते हैं किसान
इटारसी। किसानों को डीएपी लेने के लिए लाठियां भी खानी पड़ रही है। देर रात से किसान लाइन में बैठकर सो रहे और सुबह उठकर लाइन में खड़े होकर डीएपी लेने अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। किसानों के बीच धक्कामुक्की और कुछ किसानों के कतार तोडक़र आगे जाने के लिए जद्दोजेहद करने और नहीं मानने पर हल्का लाठी चार्ज भी करना पड़ा है। हालांकि किसान संघ ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया है। सुबह किसानों में विवाद की खबर के बाद टीआई गौरव सिंह बुंदेला पुलिसबल के साथ खाद वितरण केन्द्र पहुंचे थे। उन्होंने किसानों से शांति बनाये रखने की समझाईश देकर पुलिस बल को वहीं छोड़ दिया था।
ज्ञात रहे कि इटारसी डीएमओ में खाद का वितरण चल रहा है। खाद की रैक लगते ही नवरात्र की पूजन पाठ छोडक़र किसान खाद लेने हेतु सुबह 6 बजे से ही डीएमओ में आये हुए थे, कुछ किसानों का कहना है कि वे रात 3 बजे से आ गये थे। प्रशासन ने किसानों पर बलपूर्वक व्यवस्था जमाने की कोशिश की है जो कि किसानों पर बर्बरतापूर्ण कार्यवाही है। भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष ओमकार सिंह राजपूत ने बताया अगर अग्रिम व्यवस्था प्राथमिकता से की जाती तो इस प्रकार नौबत नहीं आती। रैक के विषय में जानकारी किसान संगठनों को भी नहीं दी गयी ।
भारतीय किसान संघ ने की थी बैठक
भाकिसं संभागीय प्रचार प्रसार प्रमुख उदय कुमार पाण्डेय नें बताया कि भारतीय किसान संघ ने विगत दिनों इटारसी एसडीएम के साथ सहकारिता विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में बैठक की थी जिसमें स्पष्ट बताया था कि खाद का वितरण सोसायटियों के माध्यम से नकद किया जाए इसके अलावा डीएमओ में पीओएस मशीनें बढ़ाकर काउंटर बढ़ाएं जिससे अव्यवस्था नहीं होगी, किंतु प्रशासन द्वारा सुझावों को ताक पर रखकर डीएमओ से ही खाद का वितरण किया गया जिससे किसानों की भीड़ एकत्र हो गयी और पुलिस प्रशासन ने बलपूर्वक किसानों को खदेड़ा। भारतीय किसान संघ यह मांग करता है कि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही हो तथा आगामी समय में खाद वितरण किया जाए तो अग्रिम सुरक्षा व्यवस्था की जाए तथा नगद खाद वितरण सोसायटियों के माध्यम से भी किया जाए।
किसान संगठनों को भी नहीं दी जानकारी
जिला सहमंत्री रजत दुबे ने बताया कि खाद विभाग या स्थानीय प्रशासन ने खाद का रैक लगने की जानकारी भी किसान संगठनों को नहीं दी। अगर संगठनों को जानकारी दी जाती तो कम मात्रा में आए खाद के विषय में संगठन किसानों को धैर्य बनाने का आग्रह भी करता। प्रशासन बलपूर्वक कार्यवाही कर रहा है जो किसान हित में नहीं है।