बड़ादेव को साक्षी मानकर 23 जोड़े बने हमसफर

Post by: Manju Thakur

आदिवासी विकास परिषद ने कराया नि:शुल्क सामहिक विवाह
इटारसी। सात दिन बड़ादेव ज्ञानयज्ञ श्रवण के बाद आठवे दिन आदिवासी समाज ने सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें बैतूल, छिंदवाड़ा, हरदा और होशंगाबाद जिले से 23 जोड़ों ने जीवन साथी बनकर जिंदगी जीने के लिए गोंडी परंपरा अनुसार विवाह किया। सभी 23 जोड़ों को जनपद पंचायत केसला ने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत मिलने वाली सामग्री वितरित की।
ग्राम जमानी में आयोजित नि:शुल्क सामूहिक विवाह समारोह में बाकायदा बारात निकाली और आदिवासी समाज की सभी रस्में पूर्ण करायी। कार्यक्रम में जनपद पंचायत के अध्यक्ष गनपत सिंह उईके, लेखापाल मनोज सोनी सहित अन्य कर्मचारियों ने शासकीय सहयोग दिया। विवाह समारोह से पूर्व एक सप्ताह आयोजन स्थल पर बड़ादेव ज्ञानयज्ञ का आयोजन हुआ जिसमें गोंड़ी पुराण का आयोजन 13 से 19 मई तक चला जिसमें आदिवासियों ने समाज के देवी देवता 6 देव महादेव और 7 देव के प्रति अगाध श्रद्धा भाव से कथा को सुना।
it2052017 (2)धर्माचार्यों की मौजदूगी में हुए विवाह
कार्यक्रम में आदिवासी समाज के लूली मैया बाबा डाबरी जिला बैतूल, उमानाथ महाराज आंवलीघाट, सोहनलाल पंडरपुर महाराष्ट्र, गोंडी समाज के धर्माचार्य पन्द्रे नरसिंहपुर मंच पर विराजमान थे, गोंडी समाज के धर्माचार्य ने मंत्रोच्चार के साथ विवाह की रस्में संपन्न करायीं। आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सुखराम कुमरे, समाजसेवी संजय उईके, जिला सचिव सुरेश उईके, अजाक्स उपाध्यक्ष चंद्रशिवराम उईके, आदिवासी विकास परिषद के ब्लाक अध्यक्ष बलराम उईके, पिपरिया से नीतिराज ठाकुर, गुलाब धुर्वे, जगदीश काकोडिय़ा ने सभी का स्वागत किया। जनपद अध्यक्ष गनपत उईके ने सभी जोड़ों को शासन की ओर से मिलने वाली सामग्री भेंट की।
चिलचिलाती धूप में उत्साह बरकरार
मजबूत इरादों वाले आदिवासी समाज के उत्साह का चिलचिलाती धूप भी कम नहीं कर सकी। भीषण गर्मी में जहां केसला जनपद पंचायत के कर्मचारी गर्मी से बचने कपड़े, पेपर आदि से हवा करते रहे वहीं आदिवासी समाज के लोग बिंदास पूरी रस्म निभाते रहे। उन पर गर्मी को कोई असर नहीं पड़ा। केसला ब्लाक के विभिन्न ग्रामीण अंचलों से आदिवासी समाज के सदस्य परिवार सहित इस सामूहिक विवाह के साक्षी बनने के लिए उपस्थित थे। जिनके घर विवाह आयोजन था, उनके अलावा भी कई लोग केवल विवाह सामाजिक धर्म निभाने के इरादे से कार्यक्रम में शामिल हुए।
इतना उत्साह की दूल्हा भी नाचे
आदिवासियों में सामूहिक विवाह को लेकर इतना उत्साह था कि समाज के युवा ढोल की थाप और फिल्मी धुन के साथ थिरक रहे थे। महिलाएं मंगलगान गा रही थीं तो डांस करने से दूल्हे भी स्वयं को नहीं रोक सके और कुछ ने कुछ देर ठुमक कर अपनी ही शादी में नाचे के अरमान पूरे कर लिया। विवाह स्थल से करीब आधा किलोमीटर दूर से दोपहर में ढाई बजे चिलचिलाती धूप में बारात निकाली गई और गर्मी तथा धूप के बावजूद आदिवासियों का उत्साह बरकरार रहा और वे बारात में खूब नाचे। ज्यादातर दूल्हे पैदल ही बारात में विवाह पंडाल तक पहुंचे तो एकाध ने बाइक का सहारा लिया।

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