---Advertisement---
City Center
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

सकारात्मकता से परिपूर्ण है विद्यांजलि योजना

By
Last updated:
Follow Us

पुलिस अधीक्षक आशुतोष प्रताप सिंह से खास बातचीत

sp1
OLYMPUS DIGITAL CAMERA

 vidhanjali 3होशंगाबाद जिले में पुलिस विभाग ने शासन की मंशा अनुरूप विद्यांजलि से सकारात्मक परिणाम दिए हैं। पिछले वर्ष ही शुरु की गई इस योजना से स्कूलों में परीक्षा परिणाम बेहतर बनाने में तो सहयोग मिला, साथ ही बच्चों की कॅरियर के प्रति सोच मेंं भी बदलाव आया है। स्वयं स्कूल के प्राचार्य मानते हैं कि पुलिस से मिली शिक्षा के बाद, शिक्षा में गुणात्मक सुधार देखने को मिला है। जब पुलिस के इस अवदान से शिक्षा में बदलाव आ सकता है तो फिर इससे प्रेरित होकर अन्य विभाग को भी आगे आना चाहिए ताकि हमारे यहां से भी बच्चे स्कूली स्तर से ठोस आधार लेकर आगे बढ़ें ताकि उनकी आगे की जिंदगी बेहतर बन सके।
प्रश्न : विद्यांजलि योजना क्या है इसका विचार कैसे आया?
सरकार ने इस योजना को जब प्रारंभ किया उससे पहले  मैं, जब खंडवा में पोस्टेड था तो क्लासेस लेने जवाहर नवोदय विद्यालय जाता था। इस योजना को हमारे जिले में प्रारंभ करने का पहला कारण था, चूंकि  मेरे पिता जी इंजीनियर छोड कर लेक्चचर हुए थे। वे हमेशा बोलते थे कि देश आजाद हुआ है तो मुझे लगता है कि एक शिक्षक कहीं ज्यादा लोगों की जिंदगी में बदलाव ला सकता है। दूसरा कारण था पुलिस की छबि, बच्चों के दिमाग में जो नेगेटिव थी कि पुलिस पकड़ कर ले जायेगी, वो उनके पास रहने से ही सुधारी जा सकती थी। तीसरा कारण था हमारे पुलिस डिपार्टमेंट में बहुत ही क्वालिफाइड लोग हैं। मेरा कहना था कि आप का जो नेचुरल टेलेंट, आप पढ़ाई में अच्छे हैं, किसी विषय में अच्छे हैं तो उसको सुबह सुबह बच्चों के बीच यूज कर लें। उसके बाद बाकी के काम किये जा सकते हैं। बेसिकली यहां टाइम मैनेजमेंट ही है। इन्हीं सारे कारण की वजह से मैंने विद्यांजलि शुरू की थी।
प्रश्न : यह  योजना सिर्फ होशंगाबाद जिले में ही चल रही या प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी चलाया जा रहा है?
व्यापक स्तर पर यह योजना सिर्फ होशंगाबाद जिले में ही चल रही है, जहां कान्सटेबल तक का वर्कफोर्स, जो कि पढ़ा लिखा है। उन तक को सिर्फ अपने जिले में ही इस योजना में इनवाल्व किया है। बाकी कई जगहों पर सीनियर अधिकारी एक या दो मोटिवेशनल क्लासेस लेने जाते हैं।
प्रश्न : क्या आपने जिले में किसी स्कूल या कॉलेज में जाकर क्लासेस ली हैं?
मैं कई सारी क्लासेस ले चुका हूं।
प्रश्न : अक्सर देखा जाता है कि जिले में पुलिस बल की कमी है, फिर कैसे अपनी मूल ड्यूटी से अलग इस कार्य के लिए समय निकल पाते हैं ?
बहुत आसान है। जैसे मैंने पहले कहा बेसिकली यहां टाइम मैनेजमेंट ही है। आमतौर पर थानों में सुबह के टाइम, काम कम होता है, आधा घंटा निकालना मुश्किल नहीं है।
प्रश्न : इस तरह की कोई और योजना है, जिसमें पुलिस अपनी मूल ड्यूटी के अलावा सामाजिक दायित्व निभाती है?
नहीं है, पर विद्यांजलि योजना में हमने तय किया था कि हम सरकारी स्कूलों में जायेंगे। हमने प्लान नहीं किया था कि हम प्राइवेट सकूलों में जायेंगे। इसके अलावा एक ओर योजना बनाई थी कि जो विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे, ऐसे विद्यार्थी को गाइडेंस करने ओर अच्छी कोचिंग देने के लिए हम जायेंगे। यह योजना ज्यादा सफल नहीं हो पाई। पर निश्चित ही भविष्य में इस योजना पर काम जरूर करेंगे।
प्रश्न : इस योजना का दूसरा चरण, पहले चरण से कितना अलग है?
पिछली बार इस योजना में हमने सरकारी स्कूल पर काम किया। इस संदर्भ में जिला शिक्षा अधिकारी से  जानकारी प्राप्त कर ली थी कि किन स्कूलों में शिक्षक और किन विषय के शिक्षकों की कमी है। फिर इस जानकारी पर ही हमने कार्य किया। इसके अलावा हमने पांच एजीओ और कुछ पढ़ी लिखी घरेलू महिलाओं को भी इसमें इनवाल्व किया था। इस बार हमने इन सभी का योगदान ज्यादा चाहा है और पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार इनकी मॉनिटरिंग बहुत अच्छे से करना चाह रहे हैं।
प्रश्न : पिछले सेशन में पुलिस द्वारा पढ़ाए गए विषयों में, विद्यार्थियों की सफलता का कितना प्रतिशत प्राप्त हुआ?
एडिशनल एसपी साहब उसका क्वालिटरी असेसमेंट कर रहे हैं। क्वांटिटी असेसमेंट में रिजल्ट रहा कि हमारे लोगों ने 1600 से अधिक क्लासेस ली। इन क्लासेस में हमने एक बड़ा फोकस, लेंग्वेज और बेसिक मेथेमेक्सिकल एप्टीट्यूट और साइंटिफिक एप्टीटयूट पर किया। हमारी कोशिश थी कि बच्चा बेसिक साइंस या मेथेमेटिक्स में हो ठीक जाये या लेंग्वेज में। यदि हिंदी है तो अंग्रेजी में कमजोरी आती या हिंदी ठीक है तो व्याकरण में अशुद्धि आती। हमारी कोशिश यह रही कि हम लोगों को इन दोनों में फोकस करें। जिससे बच्चों को लेंग्वेज में मास्टरी हो जाये बल्कि बेसिक मेथेमेक्सिकल और साइंटिफिक एप्टीटयूट में भी योगदान रहे। बच्चो की सफलता के अलावा जो रिजल्ट आया, वो है लड़कों में सुधार आना। खासकर लड़कों की लेंग्वेज की लर्निंग में बहुत कुछ सुधरा है।
प्रश्न : जिन पुलिसकर्मियों ने इस योजना में सराहनीय कार्य किये हैं उनको प्रोत्साहन के लिए क्या  किया गया?
एक साल हो चुका है, हम निश्चित ही उनको प्रोत्साहित करने के लिए आने वाले समय में कुछ अच्छा करेंगे।
प्रश्न : इस योजना को लेकर आप जनता तक कोई बात पहुंचना चाहते हैं क्या ?
यह  मेरा एक डिफरेंट टेक है। हम लोगों की बुराई डिटेच होकर करते हैं। मेरा मानना है कि हम डिटेच होकर करते हैं पर ये बहुत छोट-छोटे पार्टस हैं, समाज इनको लेकर बनता है और हम भी उसी समाज का हिस्सा हैं। जनता जैसी होगी पुलिस वैसी होगी, शिक्षा प्रणाली वैसी होगी, वहां की राजनीति, अधिकारी व मीडिया वैसे मिलेंगे तो हम डिटेच नहीं कर सकते। उसी प्रकार शिक्षा प्रणाली में भी बाहर से खड़े होकर अक्सर बुराई की जाती है। मैं जब बुराई सुनता था तो उस वक्त मैंने सोचता था की ये तो इनका सोचना है, पर हम क्या कर सकते हैं। मेरी कोशिश थी कि हम सिस्टम को कैसे ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट कर सकें। शिक्षा में शिक्षामित्र योजना चलाई गई, पर इसमें जनता या एनजीओ का उतना इनवाल्वमेंट नहीं था जितना वे कर सकते थे। आज सरकारी स्कूलों की स्थिति ठीक नहीं है। कई स्कूलों में पहली दूसरी में एडमिशन ही नहीं है। एक ओर चीज है जिससे हम ग्रसित हैं मु्झे देखने में आता है कि एक आदमी सिस्टम चला रहा है। सिस्टम अपने आप को आगे नहीं बढ़ा रहा। जैसे यदि सरकारी स्कूल में एक टीचर अच्छा है तो सारे बहुत अच्छे और वो प्राइवेट स्कूल से बीट कर रहे। किंतु यदि एक भी शिक्षक अच्छा नहीं है तो सारे ही वैसे ही है। और किसी काम के नहीं हैं, वहां पर हम बीट हो रहे। मैं यह चाहता हूं कि यह कोशिश अकेले न हो बल्कि ग्रुप वाइस हो यानी समाज का इसमें पूरा सहयोग हो।
(जैसा उन्होंने नर्मदांचल.कॉम की एडीटर सुश्री मंजूराज ठाकुर को बताया)

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement
error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.