श्रीराम जी की निकली बारात, हजारों बने बाराती
श्रीराम जी की निकली बारात, हजारों बने बाराती
इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर से आज भगवान श्रीराम की बारात निकली और गांधी मैदान में रामलीला के मंच पर भगवान का माता सीता के साथ विवाह संपन्न हुआ। बड़े मंदिर में मप्र विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सुधा अग्रवाल, नपा उपाध्यक्ष अरुण चौधरी ने भगवान की पूजा-अर्चना कर बारात को रवाना किया। इस अवसर पर विधायक प्रतिनिधि कल्पेश अग्रवाल, संजय दीक्षित, सभापति जसबीर छाबड़ा, राकेश जाधव, दीपक अग्रवाल, संदेश पुरोहित, डॉ. नीरज जैन, मुकेश मैना, गोविन्द श्रीवास्तव, रघुवंश पांडेय, राहुल चौरे, सतीश सांवरिया, संजय खंडेलवाल के अलावा नगर पालिका के सभी अधिकारी और कर्मचारी, श्रीरामलीला आयोजन समिति पुरानी इटारसी के सदस्य भी शामिल हुए।
रामजी की निकली सवारी और अन्य धार्मिक गीतों, ढोल और बैंड के साथ बारात पुराने फल बाजार से होकर आठवी लाइन, सराफा बाजार, नीमवाड़ा, जयस्तंभ चौक होकर गांधी स्टेडियम पहुंची। बारात में घोड़े, नृत्य मंडली, शेर नृत्य करने वालों के अलावा युवाओं की टोली भी नृत्य करते हुए चल रही थी। पुराने फल बाजार में सिंधी समाज, सराफा बाजार में तीन जगह सराफा व्यापारियों ने, जयस्तंभ चौक पर सिख समाज के सदस्यों ने बारातियों को मिष्ठान वितरित करके स्वागत किया।
श्रीराम, लक्ष्मण एक रथ में सवार थे, दूसरे रथ में मुनि विश्वामित्र थे तो भरत, शत्रुघ्न को घोड़े पर बिठाया गया था। बारात का आकर्षण दुलदुल नृत्य था जिसमें कलाकार घूम-घूमकर नृत्य कर रहे थे। इसके अलावा शेर नृत्य भी आकर्षण का केन्द्र था। बड़े मंदिर से लेकर गांधी मैदान तक हजारों बाराती साथ चले। गांधी मैदान में जब बारात पहुंची तो जनक बने राजू बतरा ने सपरिवार बारात की अगवानी की और बारातियों का स्वागत किया। श्रीराम जी का विवाह जगत जननी माता सीता के साथ संपन्न हुआ और यहां अनेक लोगों ने माता सीता के पांव पखारे और अपनी श्रद्धानुसार भेंट भी प्रदान की।
पुरानी इटारसी में धनुष यज्ञ
नगर पालिका परिषद के तत्वावधान में श्री रामलीला एवं दशहरा महोत्सव के अंतर्गत आज पुरानी इटारसी में नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष श्रीमती सुधा अग्रवाल, उपाध्यक्ष अरुण चौधरी, पार्षदों एवं गणमान्य नागरिकों ने भगवान की पूजा अर्चना करके रामलीला के आज के प्रसंग का शुभारंभ कराया।
यहां आज धनुष यज्ञ का आयोजन किया। राजा जनक का दरबार सजा है। कई राज्यों के राजा धनुष यज्ञ में शामिल होने आए हैं। यहां जानकी जी धनुष यज्ञ के लिए धनुष की पूजा की। इस दौरान सभी को राजा जनक की प्रतिज्ञा बतायी कि जो धनुष तोड़ेगा उससे जानकी का विवाह होगा। सभी राजा एक-एक करके प्रयास करते हैं, लेकिन कोई धनुष नहीं तोड़ पाता है, तो विदेहराज शोक करते हुए कहते हैं कि लगता है कि धरती वीरों से खाली हो गई है। जनक के वचनों को सुनकर लक्ष्मण को क्रोध आता है और वे जनक से कहते हैं कि ये अनुचित वचन उन्होंने कैसे कहे। वे श्रीराम से कहते हैं कि यदि उनकी आज्ञा हो तो वे यह धनुष तोड़ दें? श्रीराम नेत्रों के इशारे से उन्हें शांत कराके अपने पास बुलाते हैं। श्रीराम को मुनि विश्वामित्र आज्ञा देते हैं कि वे धनुष का खंडन करें। आज्ञा पाकर भगवान धनुष भंग करते हैं।