किरपा कर दो वरुण देवता, बरसो मूसलधार

डंडा और गोंडी नृत्य के दौरान सराहा जलसंकट पर आधारित भजन

डंडा और गोंडी नृत्य के दौरान सराहा जलसंकट पर आधारित भजन
इटारसी। पुरातन परंपरा के साथ अपना सामाजिक दायित्व कैसे निभाया जाता है, यह आजश्री शंकर मंडल नजरपुर के कलाकारों ने डंडा नृत्य के माध्यम से बता दिया। अवसर था, देवल मंदिर में डंडा एवं गोंडी नृत्य के अवसर का। यह आयोजन नगर पालिका परिषद के तत्वावधान में चल रहे श्री रामलीला एवं दशहरा महोत्सव के अंतर्गत किया जा रहा है।
पारंपरिक डंडा नृत्य एवं गोंडी नृत्य में दो डंडा और एक गोंडी नृत्य की टीम ने भाग लिया। श्री शंकर मंडल नजरपुर के कलाकारों ने जल देवता वरुण और इंद्र से प्रार्थना करते हुए भजन गाया कि वे बादलों के अंदर छिपे समुंदर को बाहर निकालें, नदिया-नाले बहा दो और इसके लिए नभ के ताले खोल दो। वर्तमान में जल संकट से हो रही परेशानी का बखान करते हुए इन ग्रामीण अंचल के कलाकारों ने बखूबी अपना सामाजिक दायित्व निभाया। उन्होंने बताया कि किस तरह से जंगल में घास सूख रहे और मवेशियों को चारा नहीं मिल रहा तो मानव भी पीने के पानी के संकट का सामना करने लगा है।
किरपा कर दो वरुण देवता बरसो मूसलधार के भाव का अपने भजन में समावेश करके इन कलाकारों ने देवल मंदिर परिसर में मौजूद पंरपरा प्रेमियों का दिल जीत लिया। श्री रामलीला दशहरा महोत्सव आयोजन समिति की ओर से श्री शंकर मंडल नजरपुर और श्रीकृष्ण सुदर्शन मंडल तालपुरा को 25 सौ-25 सौ की राशि प्रोत्साहन स्वरूप दी। दरअसल, यह प्रतियोगिता नहीं बल्कि प्रदर्शन था। इसमें केसला और सुखतवा के ग्रामीण अंचलों के युवा कलाकारों ने गोंडी नृत्य भी प्रस्तुत किया, जिसको काफी सराहा गया। आयोजन समिति ने इन युवा कलाकारों को प्रोत्साहन स्वरूप पांच हजार की राशि देने की घोषणा की है।

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