---Advertisement---
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

यह कैसी मदद कर रहा है प्रशासन?

By
Last updated:
Follow Us

इटारसी। कोरोना वायरस का फैलाव रोकने के लिए जनता को जागरुक करने, उन्हें घर के भीतर रहने को पे्ररित करने के अलावा शासन और प्रशासन की भूमिका बहुत अधिक नहीं है। स्वास्थ्य की सुविधा यहां केवल लक्षण पूछकर दवा देने तक सीमित है, तो गरीब और देश के विभिन्न हिस्सों से आकर यहां फंसे लोगों को भोजन का इंतजाम स्वयंसेवी, सामाजिक संगठन, धार्मिक संगठन कर रहे हैं। आज जो सबसे अधिक चिंतनीय वाकया यह सामने आया कि जहां सरकारें लोगों को घरों तक भेजने बसों का इंतजाम करने का दावा कर रही है, वहीं सच्चाई तो यह सामने आयी कि प्रशासन ने बसों का इंतजाम अवश्य किया, पैसा तो अपने घरों से दूर पड़े लोगों को ही करनी पड़ी।
दरअसल, पिछले दिनों देश के विभिन्न हिस्सों से इटारसी आकर रुके रेलवे के पेंट्री कर्मचारियों और विभिन्न स्टाल्स पर काम करने वालों को अपने घर जाने के लिए आरटीओ द्वारा मुहैया करायी गयी बसों का पैसा अपनी जेब से ही देना पड़ा। यह इंतजाम भी तब हुआ जब यहां फंसे लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को काल करके उनको मदद दिलाने की गुहार लगायी। जब वहां से आदेश आये तो जिला प्रशासन ने 153 लोगों को घर भेजने के लिए बसों का इंतजाम किया। आरटीओ से सब इंस्पेक्टर अशोक शर्मा सुबह दो बसें लेकर रेलवे स्टेशन पहुंचे। मालगोदाल परिसर में जीआरपी थाना के पीछे इन बसों को खड़ा किया। नगर पालिका के स्वच्छता अमले ने बसों को सेनेटाइज किया। एक-एक युवक को सेनेटाइज किया और फिर बसों में बिठाकर रवाना किया। इन बसों का पैसा खुद इन युवाओं ने किया है। यानी, शासन इन बसों से इनको घरों तक बिना इनके जेब से पैसा खर्च कराये नहीं भेज सका।
यदि ऐसा है तो फिर जो लोग पैदल ही अपने घरों की ओर चल निकले हैं, वे ठीक हैं। हैरान-परेशान, भूखे और इनमें से कुछ के पास तो पैसे भी नहीं हैं। ऐसे में परेशान लोगों को और परेशान करने वाली बात ही हुई यह तो। इस मामले में यदुवीर सिंह ने बताया कि पैसा किसी ने नहीं दिया, इन लड़कों ने ही आपस में पैसा एकत्र करके किराया दिया है। न तो रेलवे ने और ना ही किसी प्रशासन ने कोई मदद की। मुख्य नगर पालिका अधिकारी सीपी राय का कहना है कि उनके विभाग को बसों को सेनेटाइज करने और सफाई की जिम्मेदारी दी गई थी। हमने बसों और जाने वाले यात्रियों को सेनेटाइज तथा बसों की सफाई करायी है। इसके अलावा उनको कुछ नहीं मालूम कि बसें कहां से, कौन लाया और कैसे लाया। रविवार को सुबह विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा के निर्देश पर काम कर रही कार्यकर्ताओं की टीम ने इन युवाओं को खाना खिलाया। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी खिचड़ी खिलायी।

इतने पहुंचे, ये बाकी
सुबह से तैयारियों के बाद दोपहर 12:30 से 1 बजे के बीच एक बस में 39 और दूसरी में 41 लोगों को भिंड, मुरैना और ग्वालियर के लिए रवाना किया है। अब तक कुल 153 में से 80 लोग यहां से उनके घरों के लिए रवाना किये गये हैं। जो लोग यहां ठहरे थे उनमें 85 भिंड, 70 मुरैना और ग्वालियर जिलों के थे। सबको यहां से खाना खिलाकर ही रवाना किया गया है, दोपहर बाद दो अन्य बसों से शेष 73 को भेजने की तैयारी है।

सोशल डिस्टेंसिंग कैसी
दो बसों में 80 लोगों को भेजा गया। एक बस में 39 और दूसरी में 41 सदस्य। सवाल यह उठता है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सोशल डिस्टेंसिंग बनाने की बात कह रहे हैं और मैदानी अफसर इसका कितना ख्याल रख रहे हैं, यह इसी एक वाकये को देखतर अंदाजा लगाया जा सकता है। यानी बस में भरकर लोग गये हैं। जब बसें बुलायी थीं तो चार की जगह छह बुलायी जा सकती थीं, जिससे ये सभी यात्री दूर-दूर बैठकर जा सकते थे।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.