अमरनाथ यात्रा संस्मरण : गर्भगृह में मेडिटेशन विरला अनुभव

Post by: Aakash Katare

इन दिनों हिमालय पर स्थित अमरनाथ गुफा में जाकर बर्फ से निर्मित शिवलिंग (Shivling) के दर्शन करने लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कठिन और खतरनाक यात्रा के बावजूद मौके के डर पर भगवान के प्रति भाव हावी हो रहे हैं। पिछले दिनों अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) के पास बादल फटने से हुए हादसे के बावजूद लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ। लाखों अमरनाथ यात्रियों में भोपाल (Bhopal) की युवा कम्युनिकेटर आशी चौहान भी हैं, जिन्होंने हमें अपने संस्मरण भेजे हैं।

बकौल आशी चौहान (According to Ashi Chauhan), मैंने केदारनाथ और आठ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद पिछले दो साल से अमरनाथ यात्रा जाने की इच्छा रखी थी। बाबा बर्फानी के नाम से मशहूर अमरनाथ धाम का इतिहास सदियों पुराना है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने यहां माता पार्वती को अमर होने का रहस्य बताया था।

कहा जाता है कि अमरनाथ में जाकर हिमलिंग के दर्शन करने से मनुष्य के पापों से मुक्ति मिल जाती है। अमरनाथ की यात्रा बहुत कठिन है। इस यात्रा के दौरान छह पड़ाव आते हैं। इन पड़ाव का अपना एक अलग महत्व और कहानियां हैं। ये पड़ाव आपको भगवान शिव के होने का एहसास कराते हैं।

लगभग 14 किमी की यात्रा करनी पड़ती हैं जो इतना आसान नहीं होता है। मैंने अपनी यात्रा बालटाल से सुबह 5 बजे शुरु की थी और रात को 10 बजे मंदिर के पहुंचे। लेकिन यह बहुत कठिन ट्रेक माना जाता है। यहां पैदल चलने का मार्ग भी बर्फ के पुल से होकर गुजरता है।

इसके नीचे अमरावती नदी बहती है और ऊपर बर्फ जमी रहती है। चारों और बर्फ ही बर्फ है, उसका बयान कैसे करें। प्रकृति को एकदम पास से देखने का मौका मिलता है। एक तीसरी वो अनुभूति होती है जिसकी इंसान तलाश करता है, वहां के गर्भगृह में मैडिटेशन करना अपने आप में विरला अनुभव है। साथ ही अपने स्वास्थ्य की जांच हो जाती है। वहां पूरे रास्ते पैदल चलना पड़ता है।

वहां स्वस्थ व्यक्ति ही यात्रा कर पाता है। इन्हीं सब का संगम है, अमरनाथ मंदिर। वहां के भंडारे भी अद्भुत होते हैं। बर्फानी शिवलिंग के दर्शन बिना किसी द्वार या प्रतिबंधों के, पर्वत के बीच बनी 20 फीट लंबी तीस फीट चौड़ी और लगभग 15 फीट ऊंची गुफा के अंदर भगवान शिव का प्राकृतिक शिवलिंग है। प्राकृतिक पीठ पक्की बर्फ से बना है। जबकि गुफा के बाहर आपको कच्ची और मुलायम बर्फ दिखाई देती है।

हालांकि मैं उस दिन नीचे उतर रही थी, वहां पर सैलाब का इतना असर नहीं था। लेकिन वो मंजर सुनकर ही रूह कांप गई थी। पर एक बात जरूर है, कि अमरनाथ यात्रा का रोमांच ही अलग है। वो कहते हैं, जो चीज जितनी खूबसूरत होगी, उतनी ही ज्यादा खतरनाक होती है। मेरा जो अनुभव रहा है उसके मुताबिक अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाये तो यात्रा में कोई परेशानी नहीं आएगी। आशी चौहान

Leave a Comment

error: Content is protected !!