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यूपी के ड्रायवर की हत्या मामले में ऑटो चालक मुंगी को आजीवन कारावास

इटारसी। प्रथम अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश हर्ष भदौरिया (Harsh Bhadauria) की अदालत ने पीपल मोहल्ला इटारसी निवासी दिलीप (Dilip) उर्फ मुंगी पिता बलराम धावे (Balram Dhawe) उम्र 35 वर्ष ऑटो चालक को जिला गोरखपुर (Gorakhpur) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) निवासी महेंद्र (Mahendra) पिता हरहंगी प्रजापति (Harhangi Prajapati) उम्र 45 वर्ष ड्राइवर की हत्या करने का दोषी पाते हुए धारा 302 भारतीय दंड विधान (Indian Penal Code) के अपराध में आजीवन कारावास की सजा एवं 1000 रुपए के अर्थ दंड से दंडित किए जाने का आदेश पारित किया है। अर्थ दंड अदा नहीं करने परआरोपी दिलीप उर्फ मुंगी को एक वर्ष का कठोर कारावास और भुगतना होगा। आरोपी मुंगी गिरफ्तारी दिनांक 15 मार्च 2023 से निर्णय 25 नवंबर 2023 तक न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद है, अत: उसके न्यायिक निरोध की अवधि उसकी सजा की अवधि में समायोजित की जाएगी।

इस गंभीर हत्याकांड के मामले का संपूर्ण संचालन करने वाले शासन के अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला (Additional Public Prosecutor Rajeev Shukla) और भूरेसिंह भदौरिया ने बताया कि आरोपी दिलीप उर्फ मुंगी पर यह आरोप था कि उसने 15 मार्च 2023 को रात्रि 12:38 से 2:35 के बीच शिव सिंह राजपूत (Shiv Singh Rajput) की चाय की दुकान जो कि बस स्टैंड के पास पुरानी नगर पालिका के बाजू में स्थित है, उसमें मृतक महेंद्र हरहंगी के साथ शराब पीकर मारपीट की थी और उसे डंडे से सर में चोट पहुंचाई थी जिससे महेंद्र की मृत्यु हो गई थी। इस घटना की रिपोर्ट पुलिस थाना इटारसी (Police Station Itarsi) में सरकारी अस्पताल से में मर्ग मेमो प्रस्तुत करने पर दर्ज की गई थी और आरोपी के विरोध में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया था।

अभियोजन की ओर से इस प्रकरण में 13 गबाहो के कथन न्यायालय में अंकित कराए थे जिनमें से घटना के प्रत्यक्षदर्शी साक्षी सुदर्शन भाट एवं भूरा मेहरा ने घटना के संबंध में संपूर्ण जानकारी न्यायालय में देते हुए बताया था कि आरोपी मुंगी द्वारा मृतक महेंद्र के साथ शराब के नशे में बस स्टैंड के बाजू में मारपीट की गई थी और उसे वह घसीट कर चाय की दुकान से लाकर बाहर नाली में फेंक रहा था तभी लोगों ने उसे वहां देखा था और एंबुलेंस को सूचना देकर पुलिस बुलाई थी। पुलिस के आने पर आरोपी वही टपरिया में जाकर सो गया था जिसे बाद में इस स्थान से पुलिस ने सुबह गिरफ्तार किया था और उससे पूछताछ कर घटना के संबंध में उसका मेमोरेंडम कथन अंकित करते हुए उससे मारपीट करने में प्रयुक्त किए बांस के डंडे को एवं घटना के समय पहने हुए कपड़े जिनमें खून लगा था को जब्त किया था।

न्यायाधीश श्री भदौरिया ने अपने निर्णय में विश्लेषण करते हुए यह लिखा है कि अंतिम बार के ठीक पूर्व सामान्य अवस्था में मृतक महेंद्र हरहांगी को आरोपी मुंगी के साथ भूरा मेहरा एवं सुदर्शन भाट ने शराब पीते हुए देखा था तथा आरोपी द्वारा मृतक को घायल अवस्था में घसीटते हुए भी देखा था, इसी तरह आरोपी द्वारा अपने मेमोरेंडम कथन में दी गई जानकारी के अनुसार उसने डंडा एवं मृतक का आधार कार्ड तथा ड्राइविंग लाइसेंस चाय की दुकान में पीछे छुपा कर रखने वाली बात भी बताई थी और वे वस्तुएं मौके से निकलकर पुलिस को बरामद कराई थी। निर्णय में न्यायालय ने यह भी लिखा है कि जब्त डंडे से मृतक के शरीर पर आई हुई चोटों की संख्या 20 थी, इस संबंध में पीएम करने वाले डॉ. विवेक चरण दुबे ने बताया कि उक्त डंडे से मृतक के सिर पर चोट आने से उसकी कार्डियोरेस पायरेट्री फैलियर हो जाने के कारण से मृत्यु हो गई थी जो कि मानव वध प्रकृति की मृत्यु थी।

न्यायालय ने प्रत्यक्षदर्शी साक्षी एवं डॉ विवेक चरण दुबे (Dr. Vivek Charan Dubey) तथा विवेचना अधिकारी महेंद्र मालवीय (Mahendra Malviya) उप निरीक्षक रजक एवं थाना प्रभारी आरएस चौहान (RS Chauhan) के द्वारा की गई विवेचना की कार्रवाई को मद्देनजर रखते हुए आरोपी के विरोध में उक्त समस्त परिस्थितियों में प्रकरण हत्या का सिद्ध मानते हुए आरोपी मुंगी उर्फ दिलीप ढाबे को महेंद्र हरहंगी की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया पाया है। इस हत्याकांड का विचारण प्रथम अपर सत्र न्यायालय इटारसी में 4 जुलाई 2023 से प्रारंभ किया था तथा आरोपी के विरोध 25 नवंबर 2023 को निर्णय पारित करते हुए उसे दंड आदेश सुनाया जा चुका था।

निर्णय के समय आरोपी वीसी के माध्यम से जिला जेल नर्मदा पुरम से उपस्थित हुआ था जिसने दंड के प्रश्न पर कोई भी बात अपनी तरफ से न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की और कहा था कि मुझे कुछ भी नहीं कहना है। आरोपी का जेल वारंट बनाकर जिला जेल नर्मदा पुरम उसे सजा भुगत ने हेतु तत्काल भेज दिया गया है। इस प्रकरण की पैरवी शासन की ओर से अपरलोक अभियोजक राजीव शुक्ला एवं सहयोगी एजीपी एसएन चौधरी (SN Choudhary) तथा भूरेसिंह भदौरिया (Bhure Singh Bhadauria) ने भी की थी।

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