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भारतीय रेल के हिन्दी सेवी: एक शोधपरक परिचायक ग्रंथ

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भारतीय रेल सम्पूर्ण देश को एकता के सूत्र में बाँधने वाला सशक्त माध्यम है। यह आम आदमी के आवागमन का सर्वसुलभ सस्ता साधन है। देश में हिन्दी को सम्पर्क भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में भारतीय रेल ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। रेल के राजभाषा विभाग ने सभी विभागों के राजकीय कार्यों में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। रेल विभाग में अनेक हिन्दी सेवी हैं जिन्होंने हिन्दी साहित्य की अभिवृद्धि में अपना अमूल्य योगदान दिया है। हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल के द्विवेदी युग का नामकरण महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम से किया गया है जो कि एक रेलकर्मी थे। भारतीय रेल के हिन्दी सेवी गीतकार शैलेन्द्र के गीतों को भारतीय फिल्मों के माध्यम से पूरी दुनिया जानती है। पद्मश्री सम्मान से सम्मानित रेलकर्मी के. पी. सक्सेना वर्तमान समय के प्रसिद्ध व्यंग्यकार रहे हैं। साहित्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में महिला रेलकर्मी भी पीछे नहीं हैं। लखनऊ की श्रीमती स्नेहलता ने गद्य और पद्य दोनों विधाओं में अपनी लेखनी चलाकर सम्पूर्ण भारत में पहचान बनाई है।
इस ग्रंथ में डाॅ. दिनेश पाठक ‘शशि’ ने अपनी शोधपरक दृष्टि से वर्तमान व स्मृतिशेष एक सौ इक्यावन रेलकर्मी हिन्दी सेवियों के परिचय का समावेश कर इसे हिन्दी के पाठकों, शोधार्थियों एवं रचनाकारों के लिए बहुत ही उपयोगी बना दिया है। ये परिचय लेखक ने हिन्दी वर्णमाला के क्रमानुसार व्यवस्थित किए हैं।’ अपनी बात’ में लेखक ने कहा है कि इस पुस्तक में एक सौ इक्यावन हिन्दी सेवियों को ही समाहित किया जा सका है जो भारतीय रेल विभाग के हिन्दी सेवियों के दस प्रतिशत से भी कम हैं। लेखक का निकट भविष्य में, शेष हिन्दी सेवियों की जीवनी को समाहित करने के लिए दूसरा भाग तैयार करने का प्रयास होगा।
इस ग्रंथ में संकलित हर हिन्दी सेवी के जीवन – परिचय के साथ ही उसके कृतित्व का विस्तृत विवरण दिया गया है। सम्पर्क सूत्र में पते के साथ मोबाइल नम्बर और ईमेल आई डी को उपलब्धता के अनुसार समावेशित किया गया है, जिससे कि सम्बन्धित हिन्दी सेवी से त्वरित सम्पर्क किया जा सके।
प्रस्तुत ग्रंथ के लेखक डाॅ. दिनेश पाठक ‘शशि’ स्वयं रेल विभाग में वरिष्ठ अनुभाग अभियन्ता रहे हैं और एक प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। लेखक ने इस ग्रंथ के माध्यम से रेल के हिन्दी सेवियों को आपसी सम्पर्क का एक मंच प्रदान किया है। वस्तुतः यह ग्रंथ हिन्दी सेवी रेलकर्मियों का अभिनन्दन ग्रंथ है। मजबूत जिल्द, स्तरीय कागज, त्रुटि रहित सुन्दर मुद्रण और आकर्षक आवरण से सुसज्जित यह ग्रंथ सरल प्रवाहमय भाषा में रेलकर्मियों की जीवनियों से पाठकीय चेतना को गहरे तक स्पर्श करने में सक्षम है। श्रम और व्यय साध्य यह कृति रचनाकार डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’ की भारतीय रेल को एक अमूल्य देन है। भारतीय रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों को हिन्दी में काम करने की प्रेरणा देने की दृष्टि से इस ग्रंथ को भारतीय रेल के प्रत्येक पुस्तकालय में होना चाहिए।

प्रस्तुति: सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
3 फ 22 विज्ञान नगर,
कोटा – 324005 (राज.)
मोबाइल : 9928539446

कृति परिचय
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पुस्तक का नाम : भारतीय रेल के हिन्दी सेवी
विधा : जीवनी
लेखक : डॉ. दिनेश पाठक ‘शशि’
लेखकीय पता : 28, सारंग विहार, मथुरा – 281006 (उ. प्र.)
प्रकाशक : जवाहर पुस्तकालय, सदर बाजार
मथुरा – 281001 (उ. प्र.)
संस्करण : 2021
मूल्य : 650/-रुपये (सजिल्द)
पृष्ठ संख्या : 303

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