रविवार, सितम्बर 8, 2024

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कल मनायी जाएगी देव प्रबोधनी एकादशी, तुलसी-सालिग्राम विवाह होगा

इटारसी। देव प्रबोधनी एकादशी गुरुवार 23 नवंबर को मनायी जाएगी। इस दिन तुलसी-सालिगराम के विवाह की परंपरा है। नगर में गांधीनगर, श्री नवग्रह दुर्गा मंदिर और न्यास कालोनी में तुलसी-सालिग्राम विवाह के आयोजन होते हैं। एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस तिथि को भगवान श्रीविष्णु की पूजा के लिए बहुत ज्यादा शुभ माना गया है, लेकिन इसका महत्व तब और ज्यादा बढ़ जाता है, जब यह कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में पड़ती है और देवउठनी या फिर देवोत्थान एकादशी के नाम से जानी जाती है।

देव प्रबोधनी एकादशी पर गन्ने का मंडप बनाकर घरों में भी तुलसी-सालिगराम की पूजा की जाती है। उनको बैर, भाजी, आंवला चढ़ाया जाता है। बेर, भाजी आवंला, उठो देव सांवला कहकर जगाया जाता है। की देवउठनी एकादशी घरों-घर मनायी जाएगी। बेर भाजी आंवला, उठो देव सांवला के जयघोष के साथ लोग घरों के आंगन में गन्ने का मंडप बनाकर उसमें माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न कराएंगे।

लाल मैदान में लगी गन्ने की दुकानें

नगर पालिका ने लाल ग्राउंड सूरजगंज में गन्ने का बाजार लगाने जगह तय की है। यहां लोगों द्वारा एकादशी व्रत की पूजा के लिए गन्नों की खरीदारी की जा रही है। इस बार बाजार में सौ रुपए जोड़ से लेकर सौ रुपए के पांच गन्ने तक बिक रहे हैं। नगर पालिका के लाल ग्राउंड में गन्ना बाजार लगाने के आदेश के बाद भी कई गन्ना व्यवसायियों ने बीच बाजार एवं सड़कों के किनारों पर अतिक्रमण कर गन्ना दुकानें भी लगाई हैं।

देवउठनी एकादशी की पूजा एवं शुभ मुहूर्त के संबंध में आचार्य पंडित विकास शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की एकादशी 22 नवंबर 2023 की रात्रि 11:03 बजे से प्रारंभ होकर 23 नवंबर की रात्रि 9:01 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल देवोत्थान एकादशी का पावन पर्व 23 नवंबर को मनाया जाएगा। पं. शर्मा ने कहा कि इस व्रत का पारण अगले दिन 24 नवंबर को प्रात:काल 6:51 से 8:57 बजे के बीच किया जा सकेगा।

देवउठनी एकादशी की पूजा विधि

देवउठनी एकादशी पर भगवान श्रीविष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए व्यक्ति को प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए फिर उसके बाद उगते हुए सूर्य देवता को अघ्र्य देना चाहिए। इसके बाद भगवान श्रीविष्णु के व्रत एवं पूजन का संकल्प करना चाहिए और अपने घर के ईशान कोण में उनकी विधि-विधान से फल-फूल, धूप-दीप, चंदन-भोग आदि अर्पित करके पूजा करनी चाहिए।

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